जब माँ और बेटा मिलकर देश (घर) को लूट रहे हैं, तो दामाद क्यूँ पीछे रहेगा | उसका तो हक बनता है ससुर की घर को लूटना | हम लोग ही बेवकूफ है जो इनको घर लूटने की इजाजत दी है | यदि हमारी लापरवाही से चोर घर में घुस कर चोरी कर लेता है बाद में हम लोग क्यूँ रोतें हैं और रोने से फायदा भी क्या है ? ये चोरी करना घर को लूटना तो इनका खानदानी परम्परा है. ये इन लोगों को विरासत से हाशिल हुई है. दादा परदादा ने लूटा है अब ये लूट रहे हैं. जब बाप दादी परदादा लूट कर थक गए तो लूटने के लिए विदेश से भी लूटेरों का सहारा लेना शुरू किया फ़िल्मी ढंग से.और वो होलीवूड स्टाइल में लूटना शुरू किया और कर रही है. खुद को त्याग की प्रतिमूर्ति बना कर लोगों के सामने पेश किया. पहले लोगों की वाहवाही लूटी अब देश को लूट रही है.उसकी चापलूसों ने तो यहाँ तक भी कह दिया की त्याग में वो भगवन राम से भी बढ़ कर है. ये चापलूसें भी बड़े पालतू है.मुखिया की जगह उसकी खानदान की कुत्ता को भी ये लोग मुखिया मान लेंगे.बीच में इनकी खानदान से बहार के दो चार लोग मुखिया बनने आये थे मगर ये चापलूसों ने उनको सहन नहीं कर पाए और विदेशी मुखिया की इशारे पर बेचारें भगा दिए गए या बेमौत मारे गए. हम भी किसीसे कम नहीं की होड़ लगी है मुखिया और उसकी बेटे की चापलूसी करने में................क्रमश..............
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