गुलाम नवी आजाद ने ठीक ही कहा है | यह समलैंगिकता एक मानशिक बीमारी है | दुर्भाग्य से यह बीमारी हमारी देश में कुछ लोगों को लग चुकी है | इस बीमारी को कुछ लोग सही मानते है और इसके लिए वोकालत भी करते हैं. जो इसको सही मानते हैं और वोकालत करते हैं उनसे एक सवाल है कि क्या वे पेट भरने के लिए खाद्य खाते हैं या अखाद्य खाते हैं ?
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