बुधवार, 13 जुलाई 2011

श्री राम स्तुती


श्रीरामचंद्र  कृपालु  भजु  मन  हरण  भवभय   दारुणं ,
नवकंज -लूचना , कन्जमुख्का, करा  कंजा  पद  कंजारुणं .
कन्दर्प  अगनित  अमित  चाविनावा  नील -नीरद  सुन्दरम ,
पता  पीट  मानहु  ताडिता  रूचि  शुची  नोइमी , जनका  सुतावरं .
भजु  दीनबंधु  दिनेश  दानव -दैत्य -वंशा -निकन्दनं ,
रघुनंद  आनंदकंद  कोशलचंद  दशरथ -नन्दनं  .
सिर  मुकुट कुंडल तिलक  चारू  उदारु  अंगा  विभुशानाम ,
आजानुभुज  शर -चाप -धर, संग्राम -जीत-खर  दुशानम .
इती वदति  तुलासिदासा  शंकर -सेष -मुनि -मन -रंजनं ,
मम हृदय   कंज-निवास  कुरु , कामादि  खल -दल -गंजनं .
मनु  जाह्नी  राचेउ  मिलिहि  सो  बरु  सहज  सुन्दर  सवारों ,
करुना  निधान  सुजान  सीलू  सनेहू  जानत  रावरो .
यही  भांति  गौरी  असीस  सुनी  सिया  सहित  हिं  हरषीं  अली ,
तुलसी  भवानिह  पूजी  पुनि  पुनि  मुदित  मन  मंदिर   चली .

श्री राम स्तुती 

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