मातृभूमी,पित्रुभूमी,धर्मभूमी है यह
जिसके गोद में सो जाते रण बाँकुरे वह कर्मभूमी है यह.
देश की खातिर हम अपनी जां न्योछाबर करें,
इसीके खातिर हम अपना तन मन न्योछाबर करें.
पूर्वजों ने इसीके लिए लूटा दी थी अपनी जान,
आओ दोस्तों हम भी कुछ करें हम तो है उनकी संतान.
इस मिट्टी की कण कण अपने लिए है पावन,
इस मिटटी को धन्य किया था भगवान राम और किशन.
उन सहीदों और वीरों को सत सत नमन
जिन्होंने इस माँ की खातिर अपनी जान कर दिया कुर्वान
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