मैं आज सुबह सबेरे मेरे बाइक में पेट्रोल डालने पेट्रोल पाम्प पहुंचा, तेल डालने वाले लड़के से कहा भाई १०० रूपया का तेल डाल दो और बातों बातों में उससे पूछा तुम्हारा पेट्रोल का क्वालिटी खारव है क्या दो दिन पहले १०० रूपया का तेल डाला था ज्यादा दूर कहीं गया भी नहीं तेल कैसे ख़तम हो गया जो आज डालना पड रहा है,या मेरे गाड़ी का माइलेज कम हो गया ? यह सुन कर वो लड़का मुस्कुराने लगा, उसकी मुस्कराहट देख कर मैं बोला क्यूँ भाई इसमें मुस्कुराने की बात क्या है ? तो उसने एक छोटा सा उत्तर दिया जो मेरे दिमाग में आया ही नहीं था लेकिन वो कम पढ़ा लिखा लड़के का दिमाग में था,उसने कहा बाबूजी न आपकी गाड़ी की माइलेज कम हुआ न तेल की क्वालिटी में कमी है, आपने जो १०० रूपया का नोट दिया है उसमे ही कम हुआ है. मेरा दिमाग चकरा गया उस लड़के की बात सुन कर की इतनी सी साधारण ज्ञान मुझमे नहीं है.
मैं सोचने लगा इसे मेरे ज्ञान की कमी कहूँ या पैसे की मूल्य की कमी जो हम लोगों को धीरे धीरे गरीब से और गरीबी की तरफ लिए जा रही है. जैसे कि तम्बाखू या सिगरेट खाने वालों को या शराब पीने बालों को पता नहीं चलता कि वो मौत की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा है, वैसे ही पैसे की जो अवमूल्यन हो रहा है उसका भी पता नहीं चल पा रहा है कि वो कब घटा.हम सम्पूर्ण रूप से कंगाल होने के बाद ही पता चलता है की हम क्या थे और क्या हो गए.
मैं सोचने लगा इसे मेरे ज्ञान की कमी कहूँ या पैसे की मूल्य की कमी जो हम लोगों को धीरे धीरे गरीब से और गरीबी की तरफ लिए जा रही है. जैसे कि तम्बाखू या सिगरेट खाने वालों को या शराब पीने बालों को पता नहीं चलता कि वो मौत की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा है, वैसे ही पैसे की जो अवमूल्यन हो रहा है उसका भी पता नहीं चल पा रहा है कि वो कब घटा.हम सम्पूर्ण रूप से कंगाल होने के बाद ही पता चलता है की हम क्या थे और क्या हो गए.
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