मंगलवार, 3 जनवरी 2012

मुंबई में अन्ना आन्दोलन बिफल होने के पीछे का कई कारणों में से एक कारण यह भी हो सकता है कि आज तक इस आन्दोलन में जितने भी लोग जुड़े है उसमे से ज्यादातर संघ के स्वयंसेवक और स्वमी रामदेवजी के भक्त थे,जिनको वारम्वार लांछित किया गया अन्ना एंड टीम के द्वारा,जिसका परिणाम स्वरुप मुंबई का आन्दोलन विफल रहा | अन्ना एंड टीम को इससे सवक लेना चाहिए कि संघ और स्वामीजी के स्वयंसेवक निस्वार्थपर भाव से शिर्फ़ और शिर्फ़ देश मातृका की रक्ष्या तथा सम्मान के लिए अपना सब कुछ त्यागने को पीछे नहीं हटेंगे,लेकिन उनकी संगठन पर मिथ्या लांछन को कतई वर्दास्त नहीं करेंगे |
अगर राजनेता राजसत्ता के लिए सब कुछ कर सकते हैं तो
साधारण जनता भी धनसत्ता के लिए सब कुछ कर सकेंगे |
आरक्षण और धर्म के बीच परस्पर संबंध कायम हो गया है। जाति नहीं बदलती हैं पर धर्म बदलता है। धर्म पहले भी अपराध से बचने और स्वार्थ की पूर्ति के लिए बदला जाता था। अब आरक्षण के लाभ और स्वार्थ के लिए धर्म बदला जायेगा। कोई ब्राहम्ण जाति का व्यक्तिअपना धर्म बदल कर मुस्लिम बन सकता है। धर्म बदलते ही ब्राहम्ण जाति का वह व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेने का हकदार हो सकता है और हो जायेगा। यहां पूर्व मुख्यमंत्री स्व भजन लाल के पूत्र और हरियाणा के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन का उदाहरण भी कम उलेखनीय नहीं है। चन्द्र मोहन ने पहली पत्नी से तलाक लिये बिना दूसरी शादी के लिए अपना धर्म बदलकर मुसलमान बन गया था औरअपना नाम ‘आस मोहम्मद रख लिया था। जबकि उसकी गर्ल फ्रैंड ने अपना मुस्लिम नाम फिजा रख लिया था। इस्लाम में चार शादियां मान्य है। इसलिए मुसलमान बन कर दूसरी शादियां करने वालों की तदाद बढी हैं। कुछ तो क्रिश्चियन भी बन जाते हैं क्योंकि क्रिश्चियनशादी कानून के तहत रिश्ते में भी शादी होती है। कांग्रेस ने जिस तरह से आरक्षण और धर्म के बीच परस्पर संबंध स्थापित किया है औरआरक्षण की मूल भावना को ही कब्र में दफना दिया है उसके दुष्परिणाम गंभीर होंगे। सिर्फ और सिर्फ वंचित और पिछड़ी जातियों के लिएही आरक्षण का सिद्धांत गढ़ा गया था। संविधान में यह कहीं भी या किसी भी रूप में यह व्यवस्था नहीं है कि धर्म के आधार पर किसी कोआरक्षण दिया जा सकता था। इस्लाम मानने वाली पिछड़ी जातियों को पहले से ही पिछड़ी आबादी के तहत आरक्षण मिल रहा था। अबधर्म के आधार पर उन्हें पूरे मुस्लिम आबादी को आरक्षण मिलेगा। फिल्मी नायक शाहरूख खान, आमिर खान, सलमान खान औरखरबपति धंधेबाज अजीम प्रेम भाई भी आरक्षण के हकदार हो गये हैं। कल रतन टाटा, बिड़ला घराना, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी औरलक्ष्मी मित्तल जैसे उ़द्योगपति अगर अपना मूल धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल कर लिये तो ये सभी उद्योगपति आरक्षण के हकदार होजायेंगे। चुनावी विसात पर खेला गया यह जेहाद का दावं पिछड़ी और दलित जातियों की राजनीतिक ताकत को कमजोर करना है। पिछड़ीऔर दलित जातियों की राजनीतिक कमजोर होगी तभी कांग्रेस की एकमेव राजनीति चलेगी। कांग्रेस के मुस्लिम आरक्षण जेहाद की बारीकियां देखिये। चालाकिंयां देखिये। साजिशें देखिये। आरक्षण का कोटा न बढ़ा कर कांग्रेस ने जहांअगड़ी जातियो की नाराजगी मोल लेने से बच गयी वहीं पिछड़ी आबादी की 27 प्रतिशत के कोटे से मुस्लिम आबादी को आरक्षण देकरपिछड़ी आबादी के भविष्य पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। पिछड़ी जातियों की आबादी के पीछे कांग्रेस की कितनी बड़ी साजिश है,इसकाअंदाज शायद पिछड़ी आबादी के वोट के रहनुमाओं व सौदागरों को नर्ही है। इसीलिए वे मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ मुखर नहीं है।मुस्लिम आबादी को जो धर्म के आधार पर आरक्षण देने का जो तर्क दिया जा रहा है उसमें यह शामिल है कि मुस्लिम आबादी पिछड़ी हुईहै, इसीलिए उसे आरक्षण की वैशाखी चाहिए। मुस्लिम आबादी पर रंगनाथ मिश्रा और सच्चर कमिटी बैठी थी। जिसने मुस्लिम आबादीपर सर्वेक्षण कर रिर्पोट दी थी। अब यहां यह सवाल उठना चाहिए कि पिछड़ी आबादी की आर्थिक और सामाजिक स्थिति के अध्ययण केलिए अब तक कोई कमिटी या आयोग क्यों नहीं बने हैं। अगर पिछड़ी जातियों की आबादी की आर्थिक और सामाजिक स्थिति के अध्ययणपर कमिटी या आयोग बनता तो सरकारों की पोल खुल जाती और यह बात सामने आती कि पिछड़ी जातियो के आरक्षण के साथ किसप्रकार से लूट-पाट हुआ 

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