शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

आज कहे चाहे जो दुनियाँ, कल को झुके बिना न रहेगी |

शुद्ध ह्रदय की प्याली में, विश्वास दीप निष्कंप जलाकर,
कोटि कोटि पग बढ़े जा रहे,तिल तिल जीवन गला-गलाकर,
जब तक ध्येय न पूरा होगा तब तक पग की गति न रुकेगी,

 आज कहे चाहे जो दुनियाँ, कल को झुके बिना न रहेगी ||




  स्वामी विवेकानंद के कथानुसार सन १८३६ में जब रामकृष्ण परमहंस का जन्म हुआ था, तब से युग परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हुई है | महर्षि अरविंद ने बताया था कि युगसंधि का काल १७५ वर्षों का होता है | दो युगों के बीच जो काल है,उसको युगसंधि कहते हैं | जैसे दिन और रात के बीच संध्याकाल,रात और दिन के बीच उषाकाल होता है, वैसे ही एक युग और दुसरे युग के बीच युगसंधि होती है, जो १७५ वर्षों कि होती है | सन १८३६ में १७५ जोड़ेंगे तो सन २०११ में यह समय चल रहा है | इस काल पश्चात भारत का भाग्यसूर्य संपूर्ण विश्व में चमकना शुरू होगा | भारत को उशी स्थिति तक पहुँचाने वाले हम लोग है |उसका स्वागत करने के लिए शक्ति-संपन्न,बल-संपन्न होकर खड़ा होना है और उसका आधार संघकार्य ही है |  
आज हमें संकल्प करना है,अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानना है,ताकि आनेवाला समय हमें कार्य-पूर्ति का वरदान दे सके | हमारे दृढ़ संकल्प के सम्मुख सारा विश्व नतमस्तक हो जाना चाहिए | इस स्वर्णिम भविष्य का स्वागत करने हम सब तैयार रहें |

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