रविवार, 25 सितंबर 2011


गायन्ति देवा किला गीतकानि..........
          यह भारत भूमि इतनी पवित्र और महान है कि इसके बारे में कवियों ने लिखा है -
गायन्ति देबाः किल गीतकानि,धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे |
स्वर्गापवर्गास्पद मार्ग भूते,भाबंती भूयः पुरुषाः सुरस्थात ||
     इतने बड़े भाग्य है हमारे कि ऐसी महान पवित्र भूमि में हम पैदा हुए हैं |हमें गौरव है कि हम भारतीय हैं | हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस भारत भूमि के अन्दर महान-महान हस्तियाँ पैदा हुए हैं , इसके अन्दर भगबान राम,कृष्ण,बुद्ध,गुरु नानक,महावीर स्वामी,रामकृष्ण परमहंस,कवीर,स्वामी विवेकानंद अदि अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है |यह वीरों,ऋषियों और संतों की भूमि रही है |

भरत और भारत
हरिद्वार से चंडी घाट की ओर आप ऊपर जायें तो वहां पर एक आश्रम है जिसे किरण आश्रम कहते हैं-वही,वह स्थान है जहाँ शकुंतला का वीर पुत्र जन्मा था,जहाँ उसने बाल क्रीडा की थी और वह बालक शेरों के साथ खेलता था तथा खेलते खेलते वह शेरों का मुह खोलकर दांत गिनने लगता था-ऐसे शुर वीर वह बालक था | उस शुरवीर योद्धा बालक का नाम था ' भरत ' और उसी के नाम पर हमारा यह मातृभूमि का नाम ' भारत ' पड़ा |

भारत सोने का देश था
यह भारत भूमि एक ज़माने में सोने की चिड़िया कहलाती थी, इसकी इतनी प्रसिद्धि थी कि यहाँ पर पहुँचने के लिए अन्य देशों के लोग लालायित रहते थे,वास्कोडिगामा कितना अथक परिश्रम करके इसे खोजता हुआ यहाँ तक पहुंचा |यह भारत देश उस जमाने में विश्व का सरताज कहलाता था, विश्व के सरे देश इसे गुरु देश मानते थे |यहाँ के नालंदा जैसी शिक्ष्या केंद्र विश्व में प्रसिद्ध था,सरे संसार से लोग उसमें शिक्ष्या प्राप्त करने आते थे - ऐसा महान भारत देश था,सोने का देश था |

विदेशों में भारत के प्रति हीन धारणाएं  
परन्तु आज भी उसी भारत देश को विश्व के सरे देश निर्धन देश मानते हैं,अनपढ़ और गवांर देश मानते हैं,पिछड़ा हुआ देश मानते हैं | अनेक प्रकार की अनर्गल बातें आज हमारे इस देश के सन्दर्भ में फैली हुई है,विदेश के लोग इसे हीन दृष्टि से,तिरष्कार की दृष्टि से देखते हैं | विदेशों के अन्दर हमारे इस महान भारत भूमि के प्रति ऊटपटांग और हीन धारणाएं बनी हुई है,हमारे नेता लोग विदेशों में जाकर कर्ज मांगते हैं, अपनी झोली फैलाते हैं और विदेशी सरकारें हमें दया की दृष्टि से देखते हुए कर्ज देते हैं,जिसके फलस्वरुप आज देश रुणग्रस्त बना हुआ है और हमारा देश में इतना घाटा होता जा रहा है कि देश दिवालियापन की स्थिति तक पहुँच गयी है | 
ये धारणाएं बनेगा भी क्यूँ नहीं,जबकि हमारे द्वारा चुने गए नेता लोग भारत के दुखी जनता को और भी दुखी करते हुए एक के बाद एक घोटाला करते हुए लाखों करोड़ों रूपया कमा कर खुद की तिजोरी में भरते हैं,लेकिन गरीब असहाय लोग निर्धन लोग गरीबी का मार सहते सहते खाने की एक एक दाने के लिए मोहताज़ हो जाते हैं, रहने के लिए सर पर छत नहीं,पहनने के लिए कपडा नहीं, देश में चारों तरफ बदहाली फैली हुई है,भ्रष्टाचार की बोलबाला है, अत्याचार अनाचार से लोग त्रस्त है,माँ बहनों का घर से बाहार निकलना दूभर हो गया है | हमारा यह भारत,जो किसी ज़माने में सोने का भारत था, सत्ययुगी भारत था आज वही भारत दरिद्र भारत बन गया है,कलयुगी भारत बन गया है |

कलियुग का स्वरुप 
भगवान श्रीकृष्ण ने कलिकाल के स्वरुप के बारे में अर्जुन को समझाते हुए कहा था कि, कलिकाल में ऐसे पाखंडी गुरुओं की,विद्वानों की संख्या अत्यधिक होगी जो बात तो करेंगे धर्म की,ज्ञान की पर होंगे दुराचारी तथा चरित्रहीन और ऐसे ही लोगों के कारण धर्म बदनाम हो जाएगा | भारत में प्रतिदिन कितने ही मंदिर बन रहे हैं फिर भी भारत की जनता के चरित्र में,स्वाभाव में, तथा यहाँ के गुरुओं के चरित्र ह्रास होते जा रहा है,दिनोंदिन गिराबट आती जा रही है,सब दुराचारी होते जा रहे हैं | सचमुच में इस घोर कलिकाल में ये सब घटित हो रही है | आज हमारे भारत में जो व्यक्ति कालाधन रखता है,चोरबाजारी करता है वही इस देश का इज्जतदार और प्रमुख लोगों की मुखिया बन जाता है, जो शराब पिता है जुआ खेलता है ,दुराचार करता है वही भगवान् का बड़ा भक्त और धार्मिक कहलाता है | धर्म को हमने विकृत कर दिया, उसे तोड़ मोरोड़ कर हमने अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने लगे हैं, और इसीका यह परिणाम है कि धर्म का जो वास्तविक रूप था और प्रभाब था समाज के ऊपर वह समाप्त हो गया है,धर्म सारहीन हो गया है |
वास्तव में देखा जाय तो गरीब लोग जो मेहनत की कमाई खाते हैं,वे पाप कम ही करते हैं फिर भी पाप से डरते हैं,पर बड़े बड़े लोग जो हर एक मिनट में पाप कर रहे हैं, उन्हें पाप का भय ही नहीं है | वह गरीब जिसने कुछ किया  ही नहीं वह तो भयभीत हो रहा है और जिसे भयभीत होना चाहिए वो छाती फाड़े,निडर होकर घूम रहा है और कह रहा है कि कुछ नहीं होगा, अगर यमराज भी आएगा तो उसे भी रिश्वत दे कर खरीद लेंगे | रिश्वत का ज़माना जो है-आज हर चीज रिश्वत से प्राप्त कि जा सकती है | 
   


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें