रविवार, 25 सितंबर 2011

Pranab Mukherjee and Manmohan Singh
वाशिंगटन। 2जी स्‍पेक्‍ट्रम घोटाले की तरंगें यूपीए सरकार की दिल की धड़कनों को मुश्किल में डाल रही हैं। इस घोटाले का बुरा साया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पहुंच गया है। यूएन की महासभा में हिस्‍सा लेने के लिए न्‍यूयॉर्क गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सारा ध्‍यान इसी मामले में अटका हुआ है। यूपीए में नंबर 2 यानिकि वित्‍तमंत्री प्रणव मुखर्जी भी इस समय अमेरिका में ही हैं। 2जी स्‍पेक्‍ट्रम का फंदा कसता देख प्रणव अपने दौरे का दायरा घटाकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने जा रहे हैं। जहां प्रधानमंत्री से मिलकर वे सरकार को इस संकट से निकालने की रणनीति बनाएंगे।

प्रणव मुखर्जी अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष की सालाना बैठक में हिस्‍सा लेने के लिए अमेरिका गए थे। वे इस समय वॉशिंगटन में थे। पीएम से मिलने के लिए वे रविवार को न्‍यूयॉर्क पहुंचेंगे। खबर यह भी आ रही है कि कांग्रेस में इस समय आपसी विवाद पैदा हो रहे हैं। वित्‍तमंत्री की पीएमओ की चिट्ठी को नजरअंदाज करते हुए पी चिदंबरम पर भरोसा जताया था। जिसके बाद कांग्रेस भी चिदंबरम के बचाव में आ गई थी। साथ ही पीएम ने प्रणव मुखर्जी से इस मामले में चुप्‍पी साधने के लिए कहा था। प्रणव मुखर्जी इस मामले पर काफी खफा चल रहे हैं। जिसके बाद पीएम ने मुलाकात के लिए उन्‍हें बुलाया है।

2जी स्‍पेक्‍ट्रम में सरकार की फजीहत कराने की शुरुआत खुद प्रणव मुखर्जी की पीएमओ को लिखी चिट्ठी से हुई। जिसमें वित्‍त मंत्रालय ने 2008 में 2जी स्‍पेक्‍ट्रम घोटाले के समय वित्‍तमंत्री पी चिदंबरम की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। चिट्ठी में लिखा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो इस घोटाले को रोक सकते थे। अपने ही सरकार के मंत्री द्वारा आरोप लगोन के बाद चिदंबरम ने पीएम को फोन कर इस्‍तीफे की पेशकश कर दी थी। प्रधानमंत्री ने चिदंबरम से उनके वतन वापस न आने तक कोई भी बयान और निर्णय ने लेने को कहा है।

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