रविवार, 12 जून 2011

गरिबी में जीने का मजा ...












गरीबी में पला हूँ गरीबी में बढ़ा हूँ 
धनवानों की आँखों में मैं मजाक हूँ 
फीर भी जी  लेता हूँ.
सुना था मानब जीबन है अनमोल 
इसका कोई मोल नहीं, 
गरीब बन कर जीने का कोई मतलब नहीं.
है भगवन ऐसे ही मुझे रहने दे
जो मिल जाये रुखी सुखी
उसे तेरे प्रसाद समझने की आदत दे.
इतना शक्ति मुझे दे भगबन,
तेरा नाम सुमिरन करते रहूँगा,
दुःख का आंधी बादल जो भी आये
तेरे नाम लेकर पार हो जाऊंगा.
महलों की चाहत नहीं झोपडी में रहलूँगा
तेरे प्रसाद में से जो भी मिल जाये
उसे खाकर रह जाऊंगा.




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