हमारे देश में हजारों जातियां है | इन दिनों उनमें और एक नयी जाती की बृद्धि हुई है | यह नयी जाती है बुद्धिजीविओं ( INTELLECTUALS ) की | इन लोगों को बुद्धिजीवी (INTELLECTUAL) होने का प्रमाण पत्र किसने दिया, देश की सम्पूर्ण बौद्धिकता का एकाधिकार इन्हें किस प्रक्रिया से प्राप्त हुआ इसकी जानकारी किसीको नहीं है | किन्तु यह सच है कि इन बुद्धिजीविओं ( INTELLECTUAL ) ने यह मान लिया है कि देश में उपलब्ध बुद्धिमानी पर पूरी तरह से इनकी जाती का ही स्वामित्व और इस जाती के बाहर विद्वता का अकाल व्याप्त है |
इस जाती में कुछ लोग ऐसे भी है जो प्रामाणिक है | जिनका प्रयास सत्य की खोज करने का ही रहता है और अन्वेषण के पश्चात उनको यदि प्रतीत हुआ कि नए तथ्य के प्रकाश में उनकी कुछ धारणाये गलत है तो उस बात को मान लेने, अपनी गलत धारणाओं का त्याग करने और नयी धारणाओं को स्वीकार करने में उन्हें संकोच नहीं होता | क्यूंकि वे सत्य के पुजारी होते हैं, अतएव पूर्वग्रहदोष से मुक्त हुआ करते हैं | किन्तु ऐसे प्रामाणिक विचार वालों को अधिक प्रसिद्धि नहीं मिलती | इसका कारण यह है कि प्रचार के माध्यम जिनके नियंत्रण में है, प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए उनके निहित स्वार्थ से मेल खाने वाले निष्कर्ष प्रकाशित करने की चतुराई इन प्रामाणिक विचारवानो के पास नहीं है | बुद्धिजीविओं की इस नयी जाती में अधिकतर संख्या चतुर लोगों की है । उनकी रूचि वास्तविक सत्य में नहीं है । चतुर होने के कारण वे पहले ही भांप लेते हैं कि प्रचार -माध्यमो के मालिकों के निहित स्वार्थों के साथ मेल खाने वाला निष्कर्ष निकालने तथा प्रकाशित करने से अपना व्यक्तिगत निहित स्वार्थ भी सिद्ध हो सकता है | इन अप्रमाणिक विचारवानों के पास इसकी ठीक जानकारी रहती है कि रोटी की किस तरफ मक्खन लगा हुआ है और यह बात वे पहले से ही तय करके रखते हैं कि तदनुसार निष्कर्ष ही निकालना है | अब प्रश्न इतना ही रहता है कि इस तरह के उपलव्ध तथ्यों की रचना किस तरह की जाए कि निष्कर्ष वे ही निकल सकें | इस कला में ये विचारवंत लोग निष्णांत बन चुके हैं | क्यूंकि यह कला ही उनका पेशा, उनकी उपजीविका का साधन तथा प्रसिद्धि एवं प्रतिष्ठा का आधार है | इस तरह की विचार-प्रक्रिया को अंग्रेजी में HYPOTHETICAL (हाइपोथेटिकल ) संज्ञा प्रदान की गई है |
व्यवहार चतुर लोगों के बिषय में कहा गया है कि- " अर्थातुरानां न पिता न बन्धु"
उपरिनिर्दिष्ट अप्रमाणिक विचारवंत लोग इस श्रेणी में आते हैं |
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