मंगलवार, 22 नवंबर 2011

कुछ लेख

काम्युनाल मीडिया खुद को धर्म निरपेक्ष्य साबित करने के लिए नीच से नीच हरकत  करने में पीछे  नहीं  हटेगा,ये जिस दिन सच्चा धर्म निरपेक्ष्य बन जायेंगे उसी दिन इनके आका लोग इनको धक्के मार कर मीडिया से निकाल देंगे  |
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गरीव को आज तक किसने पहचाना ? सब अमीर के पीछे पागल है पर्टिकुलर मीडिया वाले इनका क्या कहना जब इनका खाने की बारी आती है तो ये किसी अमीर के पीछे लग जायेंगे इन्होने कभी किसी गरीव को देखा है क्या ? कभी किसी गरीव के बारे में सोचा है क्या ? सिर्फ और सिर्फ पैसे के पीछे पागल है ये मीडिया वाले ||
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शराब हो या मदिरा बात प्रायतः एक ही है मतलब नशा, इसे पैसे वाले लोग बार में या किसी किसी ने अपने घर पर ही बार खोल रखे हैं और बैठ कर पीते हैं और गरीव बेचारे भट्टी में पीते हैं और किसी किसी ने भट्टी से लाकर घर पर पीते हैं || पैसे बाले पीकर हुडदंग करते हैं लेकिन सम्मानित जन होते हैं इसीलिए उनकी उटपटांग हरकतों को नजरअंदाज़ कर दिया जाता है लेकिन गरीव बेचारा हुडदंग करते ही पोलिस या साधारण जनता के हाथों से  पिट जाता है || पैसे वाले की इज्जत बेआबरू होने से बच जाती है लेकिन गरीब की इज्जत का जनाजा निकाल जाती है || जब पैसे वाले नशे की हालत में आधी रात को घर पहुँचते हैं शायद ही उनकी बीवी या बच्चे उनके इन्तजार में बैठी रहते हो क्यूंकि उनको पता है वो होटल से भर पेट खा कर आयेगा, लेकिन गरीब की बीवी और बच्चे उसकी इन्तजार में बिना खाए जागते रहते हैं कि वो कब आएगा उसके साथ सब मिल कर खायेंगे लेकिन ये नसे में धुत होकर घर पहुँचते ही लढना झगड़ना शुरू कर देता है और उसके बीवी बच्चे वैसे ही बिना खाए शो जाते हैं, पैसे वाले की मकान बहुत बड़ी होती है उसके अन्दर की लढाई झगडे की शोर बाहर नहीं पहुँच पाता है चार दिवार की अन्दर दब जाता इसीलिए वो इज्जतदार बन जाता है और गरीब की झोपडी से जो शोर निकलता है वो महल्ले से बाहर निकाल आती है इसीलिए उसकी इज्जत का जनाजा निकाल जाता है और बेचारा गरीब की इज्जत की नीलामी के साथ साथ पैसे की भी बर्बादी हो जाती है और पैसे बाले लोग आपने इज्जत को बचाने के लिए पैसे की बर्बादी करते हैं ||     
    

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