शनिवार, 22 अक्टूबर 2011

आरएसएस: देश को चाहिए चरित्रवान नेता


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
इसे चाहे अण्णा आंदोलन का असर माना जाए या किसी दीर्घकालिक चिंतन का, लेकिन अभी तक व्यक्ति की बजाए राष्ट्र  को महत्वपूर्ण मानने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब इस नतीजे पर पहुंचा है कि  'देश को ईमानदार और चरित्रवान नायकों की जरूरत है' और 'शाखाओं के जरिए ऐसे नायकों की खोज की जाएगी.'
गोरखपुर में 14,15 और 16 अक्तूबर को हुई संघ की राष्ट्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक इसलिए खास तौर पर याद की जाएगी कि पहली बार संघ प्रमुख मोहनराव मधुकरराव भागवत ने सार्वजनिक रूप से आह्‌वान किया कि 'संघ को सहानुभूति नहीं,  बल्कि स्वयंसेवकों की जरूरत है.'
राष्ट्रीय कार्यकारिणी मंडल की बैठक इस लिहाज से अहम मानी जाती है कि इसमें लिए गए फैसलों के आधार पर ही संघ पूरे वर्ष अपने कार्यक्रम, अभियान और आंदोलनों की रूपरेखा तय करता है. यह संयोग ही कहा जाएगा कि उनके प्रवास के दौरान अण्णा से संघ के रिश्तों और आंदोलन के 'श्रेय' को लेकर दिग्विजय सिंह, अरविंद केजरीवाल और खुद अण्णा के इतने बयान आए कि संघ को बार-बार इस बाबत अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी.
विजयादशमी उत्सव के अवसर पर सार्वजनिक संबोधन में भागवत ने साफ कहा था कि संघ हर अच्छे काम का समर्थन करता है, इसीलिए अण्णा के आंदोलन को उसका समर्थन मिला. बाद में संघ के सर कार्यवाहक सुरेश भैयाजी जोशी ने पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस के महासचिव (दिग्विजय) द्वारा षड्यंत्रपूर्वक उठाए गए विवाद पर अण्णा जैसे व्यक्ति के भी कुटिल राजनैतिक चाल से प्रभावित हो जाने पर अफसोस जताते हुए कहा कि संघ को अण्णा से कोई परहेज नहीं है पर यदि अण्णा को संघ से परहेज है तो इस बाबत उन्हीं से पूछा जाना चाहिए.
बहरहाल 39 प्रांतों से आए 450 शीर्ष पदाधिकारियों के तीन दिवसीय चिंतन के बाद पारित प्रस्तावों पर नजर डालें तो साफ संकव्त दिखते हैं कि आने वाले दिनों में संघ न सिर्फ अपने सांगठनिक ढांचे को समृद्ध बनाने के प्रयास तेज करेगा, बल्कि जनता के बीच आंदोलनों के जरिए अपनी सक्रियता में इजाफा भी करेगा.  इसके लिए संघ ने एक तरफ गंगा में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने और स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के मौके पर देश और दुनिया में विविध कार्यक्रम आयोजित करने जैसे सांस्कृतिक प्रकल्प चुने हैं तो दूसरी तरफ केंद्र द्वारा लाए जा रहे सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक के खिलाफ व्यापक जनांदोलन चलाने का भी फैसला किया है.
प्रस्ताव में इस विधेयक को 'समाज की एकता और अखंडता को तोड़ने वाला' बताते हुए कहा गया है कि इससे न कव्वल बहुसंख्यक और अल्पसंख्यकों में दूरी बढ़ेगी, बल्कि यह हिंदू समाज में भी अनुसूचित जाति और जनजाति में भेद बढ़ाएगा. इसके अलावा संघ राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर 'सरकार की निष्क्रियता' पर भी आक्रामक रवैया अपना सकता है.
कार्यकारी मंडल में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रभावी रणनीतिक पहल पर पारित 5 पृष्ठों के प्रस्ताव में देश के चतुर्दिक मौजूद खतरों खासकर चीन से मिल रहीं चुनौतियों, सामरिक दृष्टि से अहम इलाकों में चल रही परियोजनाओं में उसकी घुसपैठ और 3जी तथा 4जी जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकी में चीनी उपकरणों के बढ़ते इस्तेमाल से पैदा हो सकने वाले खतरों पर विस्तार से चर्चा है. बैठक के बाद सर कार्यवाहक सुरेश जोशी ने ढांचागत सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सरकार के सुस्त रवैए को खतरनाक मानते हुए कहा कि ''हमारी सेनाओं का मनोबल तो अच्छा है, लेकिन साधनों के अभाव से वह दुर्बल दिखे, यह चिंताजनक है.''
हालांकि संघ के जमावड़े में पूर्व प्रमुख सुदर्शन, सह सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबले, राम माधव, सुरेश सोनी, रामजी लाल और विहिप के अशोक सिंघल, प्रवीण तोगड़िया के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही और विनय कटियार समेत भाजपा के कई बड़े नेता शामिल हुए, मगर संघ ने भाजपा से जुड़े मसलों पर टिप्पणी करने के बजाए उसे उसका आंतरिक फैसला बताकर पल्ला झाड़ लिया. लेकिन भाजपा इस बैठक को संजीवनी की तरह मान रही है.


भारत माता की जय |
अभी भी संघ राष्ट्र को ही सर्वोपरि मानता है |संघ पर किसीका असर नहीं बरं संघ का ही असर, संघ का ही विचार है जो आज अन्ना जैसे लोगों के द्वारा कार्यान्वित हो रहा है.संघ तो सालों से व्यक्ति निर्माण की कार्य से लगा है. 

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