रविवार, 20 नवंबर 2011

थमेंगे रथ के पहिए घूमेगा सियासी चक्र

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए सरकार के खिलाफ निकले भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के रथ के पहिए रविवार को भले ही थम रहे हैं लेकिन उनसे उठी सियासी आंधी संसद पर दस्तक देने को तैयार है। काले धन और भ्रष्टाचार को लेकर केंद्र के खिलाफ भाजपा का महासंग्राम अब सड़क से संसद की चौखट तक पहुंचने जा रहा है। देश भ्रमण के दौरान अपनी जनचेतना यात्रा के जरिए भाजपा नेता तो यह संदेश देते ही आ रहे थे लेकिन रविवार को इसका और स्पष्ट खुलासा हो जाएगा जब रथ से उतरकर आडवाणी सरकार पर और दूने तेवरों के साथ चढ़ाई करेंगे।

जो मास्टरमाइंड, उन्हें छोड़ जा रहा
कैश फॉर वोट कांड को भ्रष्टाचार पर कड़ाई करने की यूपीए की कथित नाकामी साबित करने का सियासी अस्त्र बना रही भाजपा ने तो मामले में तिहाड़ में बंद रहे अपने पूर्व सांसदों को सम्मानित कर यही संदेश दिया है कि इस मुद्दे का इस्तेमाल प्रमुख विपक्षी दल किस तरह करने जा रहा है। भाजपा लगातार यही कहती आ रही है कि कैश फॉर वोट की सच्चाई सामने लाने वाले उसके सदस्यों पर कार्रवाई की जा रही है और जो मास्टरमाइंड हैं उन्हें छोड़ा जा रहा है।

देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को महंगाई की वजह बताकर इस मुद्दे को आम आदमी से सीधे जोड़ चुके आडवाणी कांग्रेस को जनता की नजरों में दोषी ठहराने की हर संभव कोशिश करते नजर आएंगे। पिछले कई माह में सरपट भागते रोजमर्रा की वस्ुतओं के दाम और उन पर लगाम लगाने में सरकार की कथित नाकामी के आरोपों से संसद तो गूंजेगी ही। साथ ही जनचेतना यात्रा के दौरान जनता से संवाद कर लौटे आडवाणी सरकार को जन अपेक्षाओं के बारे में बताने का भी कोई मौका नहीं चूकेंगे।

भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता को केंद्र सरकार से राहत नहीं मिलने से दोहरी निराशा का जिक्र तो आडवाणी लगातार करते आ रहे हैं। रथयात्रा समापन से दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधकर आडवाणी ने साफ कर दिया है कि भाजपा ने यूपीए अध्यक्ष को भी असहज करने की पूरी रणनीति तैयार की है। आडवाणी ने कहा भी कि देश को परेशान कर रहे कई अहम मुद्दों पर तो सोनिया गांधी का रुख ही आज तक कोई नहीं जानता है।

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