गुजरात में गौ हत्या करने वालों की अब खैर नहीं। गुजरात सरकार ने गौ हत्या पर जुर्माने और सजा के नियमों को बेहद कड़ा कर दिया है। मंगलवार को इससे जुड़ा विधेयक सर्वसम्मति से विधानसभा में पारित कर दिया गया। इस विधेयक के मुताबिक गाय को हत्या के नीयत से ले जा रहे शख्स को 7 साल जेल हो सकती है।
गौ हत्या को बैन करने वाले गुजरात एनिमल प्रेजर्वेशन ऐक्ट (जीएपीए) 1954 में इस इरादे से मवेशियों को ले जाते वक्त पकड़े जाने वालों पर कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं था। मंगलवार को गुजरात एनिमल प्रेजर्वेशन (संशोधित) बिल 2011 पेश करते हुए राज्य के कृषि मंत्री दिलीप संघानी ने कहा कि नए कानून में गौ हत्या के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़े प्रावधान किए गए हैं। इस विधेयक को विपक्षी कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया है।
इसके तहत गौ हत्या पर 6 माह की सजा को बढ़ाकर 7 साल और जुर्माना 1,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है। नए विधेयक में हत्या के मकसद से गायों को ले जा रहे वाहन को भी जब्त करने का प्रावधान किया गया है। कृषि कार्य या पालन के उद्देश्य से मवेशियों को एक से दूसरी जगह ले जाने के लिए पूर्व अनुमति लेनी पड़ेगी।
दूसरी तरफ विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि मालधारी समुदाय के बीच सरकार के प्रति गुस्सा है। गोहिल के मुताबिक 1980 में राज्य में जहां 3,32,000 हेक्टेयर भूमि गायों के चरागाह के तौर पर मौजूद थी जो एक साल पहले तक सिकुड़ कर बेहद कम रह गई है। सरकार ने इसमें से ज्यादातर जमीन उद्योगपतियों को बेच दी है।
गौ हत्या को बैन करने वाले गुजरात एनिमल प्रेजर्वेशन ऐक्ट (जीएपीए) 1954 में इस इरादे से मवेशियों को ले जाते वक्त पकड़े जाने वालों पर कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं था। मंगलवार को गुजरात एनिमल प्रेजर्वेशन (संशोधित) बिल 2011 पेश करते हुए राज्य के कृषि मंत्री दिलीप संघानी ने कहा कि नए कानून में गौ हत्या के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़े प्रावधान किए गए हैं। इस विधेयक को विपक्षी कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया है।
इसके तहत गौ हत्या पर 6 माह की सजा को बढ़ाकर 7 साल और जुर्माना 1,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है। नए विधेयक में हत्या के मकसद से गायों को ले जा रहे वाहन को भी जब्त करने का प्रावधान किया गया है। कृषि कार्य या पालन के उद्देश्य से मवेशियों को एक से दूसरी जगह ले जाने के लिए पूर्व अनुमति लेनी पड़ेगी।
दूसरी तरफ विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि मालधारी समुदाय के बीच सरकार के प्रति गुस्सा है। गोहिल के मुताबिक 1980 में राज्य में जहां 3,32,000 हेक्टेयर भूमि गायों के चरागाह के तौर पर मौजूद थी जो एक साल पहले तक सिकुड़ कर बेहद कम रह गई है। सरकार ने इसमें से ज्यादातर जमीन उद्योगपतियों को बेच दी है।
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