सोमवार, 28 नवंबर 2011

कुछ लेख 2


जब जब इस देश में साधू संतों पर हमला हुआ
वो कृत्य जिसने भी किया वो बर्वाद हुआ ||


कभी कभार अधेड़ अवस्था में या बुढ़ापे में बच्चों जैसी हरकतें हो ही जाती है तो क्या उसे बचपन कहोगे ?????
उसे अगर बचपन कहोगे तो मम्मी को क्या कहगे ?????
खून का रंग तो लाल ही होता है लेकिन क्यूँ उसमे श्रेणी बिभाग होता है और किसीको खून दान करने से पहले क्रास मेचिंग करना क्यूँ जरुरी होता है ????
सादर प्रणाम
jai jagannath  



इसके वारे में एक ही बात कहना चाहूँगा कि, हमें पता है वो एक मिशनरी स्कूल है फिर भी हम अपने बच्चों को वहां क्यूँ पढ़ाते हैं ? जैसे कि अखिल भारतीय शिक्ष्या संस्थान द्वारा परिचालित सरस्वती शिशु मंदिर में किसी भी मुस्लिम या ख्रिश्तियन पर्व में छुट्टी नहीं दिया जाता | वहां पर शिर्फ़ हिन्दू पर्व ही पालन किया जाता है और हिन्दू रित रिवाज ही मनाया जाता है | इसलिए वहां कोई मुस्लिम या ख्रिस्तियन बच्चे पढ़ते नहीं, तो हम लोग क्यूँ मरे जा रहे हैं अपने बच्चों को मिशनरी स्कूल में पढ़ाने को ?
सठिया गया लगता है खुर्शीद ? खुर्शीद को शायद पता नहीं संघ क्या कर सकता है ?
हिंदुत्व के बारे में एक ही वाक्य कहा जायेगा कि, सर्वे भवन्तु सुखिनः की उदघोष विश्व में सर्व प्रथम हिन्दू ही किया था |
देश में कांग्रेस से समर्पित एक ही पार्टी है, पता है कौन.............. यार मीडिया पार्टी, मीडिया से बढ़ कर और कोई कांग्रेस के प्रति समर्पित नहीं है |


हाँ ये नियम तो लागु करना ही है, साथ में ये नियम भी तुरंत लागु करना है कि जो मीडिया झूठे संवाद परिवेषण करेगा उसे ७ साल की सजा |

केवल बड़े n g o ही नहीं सब के सब n g o घपले वाज है | सभी को j l p की दायरे में लाना है | कानून सब के लिए एक सामान है या गरिवों के लिए अलग और अमीरों के लिए अलग ? यहीं तो घपला है, तभी तो मैं कहूँ कि  क्यूँ  मीडिया इतना बढ़ चढ़ कर अन्ना को सपोर्ट कर रहा है ? चोर चोर मौसेरा भाई बाली बात इनके लिए ठीक बैठता है |

क्या मीडिया जनता को धोका दे रही है ? ये हमसे पूछे ................

हाँ आपने सही कहा है युवा की परिभाषा को बिगाड़ा जारहा है लेकीन क्या करें ये सव तो मीडिया वालों की करसादी है |
आप जैसे ही एक संत थे स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ओडिशा के एक बीहड़ जंगल फुलबानी जिल्ले की चकापाद  में कार्य गरीव बनवासिओं के लिए कार्य करते थे और जन्माष्टमी के दिन वहां के ख्रिश्तियन लोगों से पैसा लेकर नक्सलिओं ने उनको हत्या कर दिए |
देर इस  ओनली ४ वेस टू कोन्वेर्ट ए हिन्दू १/ लेडी,२/ पेडी, ३/ हेन, ४/ पेन

हमें अपने मानसिकता में परिवर्तन लाने की जरुरत है,इसके लिए हम खुद ही जिम्मेदार है | हमारे अन्दर अंग्रेज भाषा प्रति जो विचार है, जो सोच है कि अंग्रेज पढने से ही बच्चे आगे बढ़ पायेंगे,फर्राटेदार अंग्रेज बोलने से ही लोग उसको इज्जतदार और उच्च शिक्षित मानेगें ये कुछ गलतफहमी अंग्रेजों की ज़माने से हमारे अन्दर बैठा हुआ है | हाँ, ये कहना होगा कि अंग्रेज शिक्ष्या आवश्यक है लेकिन जरुरी नहीं | वैसे देखा जय तो आज भी बहुत सारे पाश्चात्य देश के बड़े बड़े अधिकारी यहाँ तक कि राष्ट्रपति तक को अंग्रेज भाषा ठीक से आता नहीं,वे अपने मातृभाषा में ही बात करते हैं | हमें अपनी मातृभाषा प्रति कितना आदर है सम्मान है ये सबको पता है | ये जो अंग्लो विद्यालय भारत में गली से लेकर दिल्ली तक खोले हैं उसीका ही परिणाम है | ख्रिस्तिआन संस्थाएं इसका फ़ायदा उठा रहे हैं और हमें बेवकूफ बना कर हमारे बच्चों को हाई मम हाई डैड कहना सिखाते हैं और हम भी खुस हो जाते हैं उनकी तोतली जुवान से डैड मम सुनकर | लेकिन यही मम डैड सिखाते सिखाते बच्चों को वे कब अपने हिन्दू विचार और माँ बाप से दूर ले जाते है ये न बच्चा जान पाता है और न माँ ओर पिताजी से बदल कर मम डैड हुए हम जान पाते हैं |
आज अखिल भारतीय शिक्ष्या संस्थान " विद्या भारती " समग्र भारतवर्ष में सरस्वती शिशु मंदिर के नाम से शिक्ष्या जगत में और विचार में जो वैप्लविक क्रांति लाया है उसकी उन्नति को भारत सरकार की कोप दृष्टि का शिकार होना पड़ रहा है |

अंग्रेजी शिक्ष्या आवश्यक है लेकिन जरुरी नहीं,अंग्रेज भाषा विश्व भाषा भी नहीं, अपनी मातृभाषा से बढ़ कर कोई भाषा ही नहीं | आप अगर ध्यान से देखेंगे तो समझ जायेंगे कि, जिन सब देशों के ऊपर अंग्रेजों ने राज किया था और गुलाम बनाया था या किसी न किसी तरह की प्रभाव था, उन सब देशों में ही अंग्रेजी भाषा के ऊपर जोर दिया जा रहा है |और उसीका ही परिणाम ये क्रिकेट खेल भी है | ज्यादा नहीं कहना चाहता हूँ आप सब समझदार है |

जन्म दिन की सुभ अवसर पर आप को सादर हार्द्धिक अभिनन्दन

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दु-स्तान हमारा हमारा
लूट के ले गए सब कुछ,
फिर भी हम लगा रहे हैं नारा ||

आज का नारा.............
हिन्दुस्थान की क्या पहचान
यहाँ शासन कर रहे हैं चोर डाकू और बेईमान ||

   पन्नू --की मन्नू मोशाय,क्या सोच रहे हो
  मन्नू -- वो सरदू की थप्पड़ के बारे में सोच रहा हूँ
  पन्नू --उडी बाबा, केनो आवार की होयेछे
 मन्नू-- उसको थप्पड़ कैसे लगा रहा होगा ?
पन्नू -- उडी बाबा, उसको तो थोप्पोड़ लोगा होमको कोभी भी चोप्पोल लोगेगा |
एक सच बात बताऊँ,इसमें गलती उन लड़कों की नहीं जिसने इनको फंसाया गलती इन लड़कियों की है जो इन्होनें उसके jaal में फंसे हैं,
क्या ये कॉलेज में पढने जाते हैं या प्यार करने जाते हैं ?
क्या इनको पता नहीं था कि वो मुस्लिम लड़का है ?
क्या इनको पता नहीं है कि इनके परिवार वाले इसका विरोध करेंगे ?
क्या इनके कालेज या मोहल्ले में कोई हिन्दू लड़का नहीं है ?
क्या कोई हिन्दू लड़का इनके नजर में प्यार करने लायक नहीं है ?
हमारे यहाँ कहावत है कि खुद का सोना अगर भिन्डी है तो फिर किसे दोष देंगे ?
कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
की जैसे मैं उड़के जाऊं और संसद भवन पर बम गिरादूं ||


ये सब बिन ब्याही माँ बनेंगे
और भारत में नाजायजों की संक्ष्या बढ़ाएंगे ||






जगन्नाथ स्वामी नयनपथ गामी भवतुमें..........   जय जगन्नाथ
कांग्रेस का क्या पहचान ? काले पंजे की निशान .....आज कल जैसे थप्पड़ का जमाना चल रहा है उसको देखते हुए मैडम ने आदेश दिया है कि सब कांग्रेसी खुद की गाल पर पंजे की निशानी बना लें, शायद निशान देख कर थप्पड़ मारने को आने वाला मार खाया हुआ समझेगा और वापस चला जायेगा और साथ ही साथ पंजे की निशान का प्रचार भी हो जायेगा ||


जन गण मन अधिनायक जय है भारत भाग्य विधाता................

लगता है हरविंदर के पीछे "सिब्बल या दिग्गी" का हाथ है, क्यूंकि ये झूठ बोलने आदत ज्यादातर कंग्रेसिओं में ही देखने को मिलता है ||


आम आदमी की पैसे से हम ऐस करेंगे
जो जनता कल मरने वाले हैं उन्हें आज मारेंगे ||
पीओ भाई और पीओ क्यूँ कि दीदी ने मरने वालों को २ २ लाख रूपया दे रही है | आदत बिगाड़ने के लिए ये प्रोच्छाहन दे रही है | जम के पीओ और मर जाओ कम से कम बीवी बच्चे तो बच जायेंगे || पीओ और मौज मनाओ ||


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आपने जो कहा है वो सोलाने सही है , लेकिन एक प्रश्न जो बार बार मन में उठ रहा है उसका निराकरण अत्यंत जरुरी है | जब अफज़ल गुरु के सपक्ष्य में सारे के सारे मुस्लिम सम्प्रदाय इकट्ठे हो जाते हैं और कसब के सपक्ष्य में बोलने लगते हैं, वैसे आज तक किसी हिन्दू ने ऐसा किया है ? कारण क्या है कोई बता सकता है ? हम  डरपोक  नहीं है, हम दुर्वल  भी नहीं  है | शिर्फ़ एक ही चीज का अभाव है हम में वो है हमारे अन्दर वो मानसिकता ही नहीं है | हिन्दू को जब मार पड़ता है तभी उसे भारत माता की याद आता है | अन्यथा वो सोये रहता है, भले पडोसी की घर मे आग लग जाये, भले पडोसी की माँ,बहन और बीवी को कोई विधर्मी भगा ले जाये उससे इसको कुछ फरक पड़ने वाला नहीं है | स्वार्थ से घिरे हैं हम,में और मेरा परिवार तक ही सिमित हैं हम | दोष किसे देंगे किसी राजनीति करने वाले को ? वो तो अपने न्यस्त स्वार्थ के कारण कुछ भी करने को तैयार रहते हैं | जागना है हमें, जगाना है दूसरों को, संगठीत होना है हमें तभी कुछ हो सकता है, वर्ना ऐसे ही तिल तिल मरते रहेंगे |    
भारत माता की जय
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यावतभ्रियेत जठरं तावत स्वत्वं हि देहिनाम
अधिकं योयोभिमन्यते स स्तेनो दंडमर्हती ?

जितने से पेट भर जाय उतने पर हि तुम्हारा अधिकार है | उससे अधिक लोगे तो तुम चोर हो,तुम्हे दंड मिलना चाहिये |हमारे यहाँ प्रकृति को माता माना गया है | जिस प्रकार बच्चा माँ का स्तनपान करता है -उतना ही दूध पीता है जितने की आवश्यकता होती है | पेट भर जाने के बाद माँ यदि जवरदस्ती दूध पिलाती है तो बच्चा मुँह फेर लेता है |हमें भी प्रकृति माता से उतना ही लेना चाहिये जितना हमारे लिए नितान्त आवश्यक है | उतना ही खाओ ताकि प्रकृति का भंडार सबके काम आ सके | कुछ लोगों ने ज्यादा खाया और कुछ भूखे रहे, कुछ लोग सुबह से शाम तक चर रहे हैं और कुछ लोगों भाग्य में एक समय का भोजन भी नहीं है इसका कारण क्या है ? हमारे यहाँ कहा गया है तेन त्यक्तेन भुन्जीथा मतलब जितना जरुरत है उतना ही उपभोग करो | लेकिन लगता है लोग जैसे खाने के लिए जीते हैं,जीने के लिए नहीं खाते | और इसीका परिणाम दूसरों को भोगना पड़ता है |और इसीका ही परिणाम है भ्रष्टाचार ||

परम आदरणीय भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह माननीय अटलजी की दीर्घायु कामना करते हुए इतना ही कहना है
" है आदरणीय, भीष्म की प्रतिज्ञां सा अटल है आप,
ह्रदय तो है वज्र के समान,
लेकिन फूलों की पंखुड़ी सा कोमल है मन,
नन्हे बालक सा निश्चल निष्पाप और निष्कपट है आप "

Madan Mohan Malaviya was born to an orthodox Hindu family at Allahabad on December 25, 1861.Malaviya popularised the famous slogan "Satyameva Jayate" (Truth alone will triump). He was a great teacher and a follower of The Bhagavad Gita - A great Karmayogi.He established one of India's oldest and most prestigious universities, Banaras Hindu University(B.H.U), at Varanasi.He was founder editor of two nationalist weeklies called Hindustan (in Hindi) and The Indian Union (in English).[1] Malaviya was the president of the Indian National Congress in 1909 and in 1918. Like many of the living leaders of Indian National Congress he was a Moderate.He worked for the destruction of caste barrier in temples and other social barriers. He is believed to have undergone a Kayakalpa[citation needed]. Also, he organized a mass of 200 Dalit peoples, including the Hindu Dalit (Harijan) leader P. N. Rajbhoj to demand entry at the Kalaram Temple on a Rath Yatra day. All those who participated in this event took a dip in the Godavari River and chanted Hindu mantras. Pandit Madan Mohan Malaviya made massive efforts for the entry into any Hindu temple.




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