टीम टिमाती एक दिया..............
जल बुझ रही थी
हवा की ठंडी झोंक से लौ फड फडा रही थी
फिर भी थके हारे पथिक को आशा की उजाला दिखा रही थी .
शायद वो दीपक बुझ जाएगी भोर होने से पहले
शाम को फिर से कोई जला जाएगी रात घना होने से पहले
कोई पथिक न भटके इसी की रौशनी काफी है मंजिल तक के
लिए
फिर से लक्ष पर पथिक पहुँच जायेगा दिया बुझने से पहले |
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