माताओं की बलिदान की परम्परा
एक हजार वर्ष पहले विदेशी मुसलामानों के आक्रमण के समय तथा उनके सैकड़ों वर्ष के राज्य-काल में जिन लोगों ने आदर्शों के लिए दृढ़ता के बल पर ही प्राण त्याग किये, आज का श्रेष्ठ से श्रेष्ठ देशभक्त उस प्रकार की दृढ़ता का परिचय दे सकेगा या नहीं, इस विषय में संशय प्रकट करना अन्याय नहीं होगा । उन्होंने कितने अत्याचार सहन किये । वे कर्तव्य-निष्ठां का आचरण करने वाले लोग थे ।
उनमें निर्भयता,कर्त्तव्यनिष्ठां,समज्प्रेम और मनुष्य जीवन की सार्थकता के लिए जीवन भर परिश्रम करने की प्रेरणा थी । उन्हें खाने को नहीं मिलता तो भी चिंता नहीं थी । खाना-पीना मनुष्य का लक्ष नहीं है, उनमें इस प्रकार की दृढ़ भावना थी । ऐसी भावनाएं और विचार छोटे से बड़े तक, शिक्षित से अनपढ़ तक एबं स्त्री - पुरुष सभी में थे । बलिदान करने की का मौका पाया तो लाकों लोग डट कर खड़े हो जाते थे । स्त्रियाँ भी हजारों की संख्स्या में अपने सतीत्व की रक्षा हेतु आग में कूदकर जल मरने की तैयार होती थी । आग में जल मरना मखौल नहीं होता । यह परम्परा अब तक हमारे देश में है ।
उनमें निर्भयता,कर्त्तव्यनिष्ठां,समज्प्रेम और मनुष्य जीवन की सार्थकता के लिए जीवन भर परिश्रम करने की प्रेरणा थी । उन्हें खाने को नहीं मिलता तो भी चिंता नहीं थी । खाना-पीना मनुष्य का लक्ष नहीं है, उनमें इस प्रकार की दृढ़ भावना थी । ऐसी भावनाएं और विचार छोटे से बड़े तक, शिक्षित से अनपढ़ तक एबं स्त्री - पुरुष सभी में थे । बलिदान करने की का मौका पाया तो लाकों लोग डट कर खड़े हो जाते थे । स्त्रियाँ भी हजारों की संख्स्या में अपने सतीत्व की रक्षा हेतु आग में कूदकर जल मरने की तैयार होती थी । आग में जल मरना मखौल नहीं होता । यह परम्परा अब तक हमारे देश में है ।
अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं, हमारे दुर्भाग्य से इस देश का विभाजन हुआ । उसके बाद, कश्मीर पर पाकिस्तान का हमला हुआ । उस समय पूंछ-राजौरी नमक स्थान पर ३ हजार स्त्रियों ने आत्माहुति दे दी । किसी ने जहर खाकर प्राण दे दिए तो किसी ने कुएं में कूद कर । अनेक स्त्रियाँ हाथ में तलवार लेकर रस्ते के किनारे कड़ी हो गयीं । जो हिन्दू उधर से आया, पद्वंदन करते हुए उससे प्रार्थना की कि भाई, इस तलवार से हमको मार दो, क्यूंकि मुसलमान आयेंगे, उनके स्पर्श से हमारे शारीर कलंकित होगा अपवित्र होगा । वहां पर ऐसी ३ हजार स्त्रियों की हद्दिओन के ढेर पड़े थे । वर्तमान मुसलमान सरकार ने उन अस्थिओं को जमीन में गडवा कर उन पर चबूतरा बनवा दिया, क्यूंकि उन ढेरों को देखकर हिन्दुओं के ह्रदय में क्रोध उत्पन्न होता । वहाँ कोई पूजा-पाठ, होम-हवन नहीं होता, मेला आदि नहीं लगता, लेकिन जानकार लोग बताते हैं कि यहाँ पर उन ३ हजार स्त्रियों की अस्थियाँ गाड़ी गयी है ।
उन माताओं को शत शत चरणवंदन ।
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