बुधवार, 28 दिसंबर 2011

पश्चिम का चकाचौंध


हमारी नई पीढ़ी पश्चिम की और देखती है कारण, आमेरिका,रुष,जर्मान,जापान आदि की प्रशंसा गाथा बार बार उनके कानों पर आती रहती है और उसका अत्यंत अनिष्ट परिणाम उन पर होता है | पश्चिम की देश अपने उत्कर्ष के शिखर पर होने के कारण और हम भारतीय किसी जवर्दस्त बीमारी से जैसे तैसे बाहर निकले हुए रोगी के सामान होने के कारण, उनके साथ अपनी तुलना करने में हमारे विद्यार्थिओं के मन पर पश्चिम की चमक दमक का प्रभाव पड़ जाता है और अपरिपक्व बुद्धि के कारण वे इस निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं कि भारत में जन्म ग्रहण करना अपना परम दुर्भाग्य है | उनका शिक्ष्यक और उनके पालक उनका मार्गदर्शन नहीं कर सकते, क्यूंकि भारतीय इतिहास के तथ्य एबं उसके सत्य स्वरुप का ज्ञान उनको भी अप्राप्त सा ही रहता है | इस प्रकार कि मनोदशा का परिणाम,इस संकल्प में हो रहा है कि यदि किसी पाश्चिमात्य देश में जाकर बसना संभव हो तो वहां जाकर रहेंगे | इस प्रकार गत पच्चीस तीश वर्षों में विदेश में जाकर बसने वाले बुद्धिमान,कर्त्तव्य सम्पन्न भारतीयों कि संख्या हजारों,लाखों में गिनी जा सकती है |

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