शनिवार, 25 जून 2011

भारत की जनता इतना भोला भाला जैसे कि एक छोटे से बच्चे को माँ झुनझुना दे कर भुला देती है. भारत की स्वतंन्त्रता से लेकर आज तक जितने भी घटना या दुर्घटना सब को भारत की जनता भूल चुकी है. जब तक घाव दर्द देता है तब तक उसको याद रहता है की एक घाव है जब घाव भर जाता है उसके बाद सब कुछ भूल जाता है. क्यूंकि उसको कोई याद दिलाने वाला भी तो होना चाहिए. यदि भी कोई उसको याद दिलाता है फिर भी माँ की झुनझुना जैसे अगर कुछ उसको मिल जायेगा तो फिर से  भूल जाएगा की कुछ हुआ था. एक बात ध्यान देना योग्य है कि, क्या भा. ज. पा का शासन ख़राब था ? भा. ज. पा देश को विकाश कि राह पर नहीं ले गया था ? तो फिर क्यूँ लोग भूल गए ? लोग सब कुछ भूल जायेंगे. कांग्रेस वाले कुशासन करने में माहीर है. देश कि जनता को कैसे बेवकूफ बनाया जाता है उनको अच्छी तरह मालूम है.  

बेशर्मी की भी कोई हद होती है


न्यूयॉर्क में समलैंगिक शादियों को मान्यता

अमेरिकी प्रांत न्यूयॉर्क में समलैंगिक शादी को मान्यता देने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी गई है. शुक्रवार को हुए मतदान में समलैंगिक शादियों के पक्ष में 33 वोट पड़े जबकि विरोध में 29. इस के साथ ही न्यूयॉर्क अमेरिका का छठा ऐसा राज्य बन गया है जहां ऐसी शादियां मान्य होंगी. इस विधेयक के कानून बनने के तीस दिन बाद से शादियां हो सकेंगी. हालांकि धार्मिक संस्थायों को इन शादियों का हिस्सा बनने के लिए नहीं कहा जाएगा.
बेशर्मी की भी कोई हद होती है 

इतिहास के पन्नों को अगर पलट कर देखें तो 25 जून को ही भारत में इंदिरा सरकार ने आपातकाल लागू किया था

1975 : भारत में आपातकाल लागू

इंदिरा गाँधी
आपातकाल के बाद 1977 के आम चुनावों में कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई थी
वर्ष 1975 में इंदिरा गाँधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति फ़खरुद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी.
आपातकाल लागू करने के साथ ही देश में लोगों के तमाम जनतांत्रिक और मूलभूत अधिकार निलंबित कर दिए गए थे. इसके अलावा अख़बारों और समाचार के सभी माध्यमों के ऊपर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी.
देश के सभी विपक्षी दलों के नेताओं जैसे अटल बिहारी वाजपेयी, जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस, जेबी कृपलानी, और चरण सिंह सहित कई लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया था.
सरकार ने देश में आपातकाल का कारण घोर आतंरिक अस्थिरता बताया था.
राजनीतिक विश्लेषक इस आपातकाल के पीछे इलाहबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय देखते हैं जिसमें इंदिरा गांधी के रायबरेली से चुनाव को रद्द कर उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दे दिया गया था.
ये आपातकाल जनवरी 1977 में जा कर समाप्त हुआ. प्रख्यात गांधीवादी विनोबा भावे ने इस आपातकाल का समर्थन किया था और इसे अनुशासन पर्व कहा था

शुक्रवार, 24 जून 2011

अरे समझाओ यार इन इन आम आदमियों को

अब पता चला हमने क्यूँ गाड़ी नहीं ख़रीदा. क्या हमसे ज्यादा पैसा तुम लोगों के पास है ? अब भुगतो गाड़ी का मजा.इसीलिए तो हम घरमे खाते नहीं बाहर खाते हैं.दो कौड़ी की हैशियत नहीं................ अरे समझाओ यार इन इन आम आदमियों को.
अब पता चला हमने क्यूँ गाड़ी नहीं ख़रीदा. क्या हमसे ज्यादा पैसा तुम लोगों के पास है ? अब भुगतो गाड़ी का मजा.इसीलिए तो हम घरमे खाते नहीं बाहर खाते हैं.दो कौड़ी की हैशियत नहीं................ अरे समझाओ यार इन बेवकूफ जनता को. पैसा जमा करना सीखो, घरमे नहीं बैंकों में वो भी विदेशी बैंकों में. 
माननीय गोविन्दाचार्या जी सादर प्रणाम,
 आप को ये मेरे द्वारा लिखा गया तिशरा प्रश्न है. आप जैसे ५ महान लोगों का वरद हस्त तथा मार्ग दर्शन स्वामी रामदेव जी को मिल रहा था फिर भी क्यूँ इतना बड़ा आन्दोलन को सरकार ने कुछ ही समय कुचल कर रख दिया ? और इस मुद्दे पर आप लोगों का अगले रणनीति क्या होगा ? क्ष्यमा करें, क्या स्वामी जी के अन्दर कुछ अहम भाव तो नहीं आगया था ? या योजना में कुछ कमी रह गया था ? 



Rani Durgavati

Rani Durgavati (October 5, 1524 – June 24, 1564) was born in the family of famous Rajput Chandel Emperor Keerat Rai. She was born at the fort of Kalanjar (BandaUttar Pradesh). Chandel Dynasty is famous in the Indian History for the defense of king Vidyadhar who repulsed the muslim attacks of Mahmud Ghaznavi. His love for sculptures is shown in the world famed temples of Khajuraho and Kalanjar fort. Rani Durgavati's achievements further enhanced the glory of her ancestral tradition of courage and patronage of arts.
In 1542, she was married to Dalpat Shah, the eldest son of king Sangram Shah of Gond Dynasty. Chandel and Gond dynasties got closer as a consequence of this marriage and that was the reason Keerat Rai got the help of Gonds and his son-in-law Dalpat Shah at the time of muslim invasion of Sher Shah Suri in which Sher Shah died.
She gave birth to a son in 1545 CE. who was named Vir Narayan. Dalpat Shah died in about 1550 CE. As Vir Narayan was too young at that time, Durgavati took the reins of the Gond kingdom in her hands. Deewan or Prime Minister Beohar Adhar Simha kayastha and minister Man Thakur helped the Rani in looking after the administration successfully and effectively. Rani moved her capital to Chauragarhin place of Singaurgarh. It was a fort of strategic importance situated on the Satpura hill range.
After the death of Sher shah, Sujat Khan captured the Malwa zone and was succeeded by his son Baz Bahadur in 1556 CE. After ascending to the throne, he attacked Rani Durgavati but the attack was repulsed with heavy losses to his army. This defeat effectively silenced Baz Bahadurand the victory brought name and fame for Rani Durgavati.
In the year 1562 Akbar vanquished the Malwa ruler Baz Bahadur and annexed the Malwa under Mughal dominion. Consequently, the state boundary of Rani touched the Mughal Sultanate.
Rani's contemporary was a Mughal General, Khwaja Abdul Majid Asaf Khan , an ambitious man who vanquished Ramchandra, the ruler ofRewa. Prosperity of Rani Durgavati's state lured him and he invaded Rani's state after taking permission from Mughal emperor Akbar.
When Rani heard about the attack by Asaf Khan she decide to defend her kingdom with all her might although her Deewan Beohar Adhar Simha pointed out the strength of Mughal forces. Rani maintained that it was better to die respectfully than to live a disgraceful life.
To fight a defensive battle, she went to Narrai situated between a hilly range on one side and two rivers Gaur and Narmada on the other side. It was an unequal battle with trained soldiers and modern weapons in multitude on one side and a few untrained soldiers with old weapons on the other side. Her Faujdar Arjun Das was killed in the battle and Rani decided to lead the defence herself. As the enemy entered the valley, soldiers of Rani attacked them. Both sides lost some men but Rani was victorious in this battle. She chased the Mughal army and came out of the valley.
At this stage Rani reviewed her strategy with her counselors. She wanted to attack the enemy in the night to enfeeble them but her lieutenants did not accept her suggestion. By next morning Asaf khan had summoned big guns. Rani rode on her elephant Sarman and came for the battle. Her son Vir Narayan also took part in this battle. He forced Mughal army to move back three times but at last he got wounded and had to retire to a safe place. In the course of battle Rani also got injured near her ear with an arrow. Another arrow pierced her neck and she lost her consciousness. On regaining consciousness she perceived that defeat was imminent. Her Mahout advised her to leave the battlefield but she refused and took out her dagger and killed herself on June 24, 1564. Her death is celebrated in India as a "martyrdom day" 

मंगलवार, 21 जून 2011

भ्रष्टाचारी कौन

अरे यार वो पिग्गी को कोई पूछता क्यूँ नहीं कि राजीव गाँधी के नाम से जो ट्रस्ट सब बनाया गया है उन सबका हिशाब किताब कौन करेगा ? उसका बाप करेगा क्या ? 
दूसरी बात ये सब जो नेता लोग है उनको हमपर शासन करने भेजता कौन है ? हम जैसे साधारण नागरीक ही न ? अछा हम लोग अगर वोट नहीं करेंगे तो ये हम पर शासन करेंगे कैसे ? हम लोग तो यारों एक बोतल दारू के लिए या ५० / १०० रूपया लेकर आपना वोट उनको देकर हम पर राज करने के लिए ५ शाल तक मौका देते हैं. तो वे लोग हमें दिया हुआ रूपया निकालेंगे कहाँ से ? 
(एक बात सोचो हम मोटर साइकिल में कही जा रहे हैं और हमारे पास गाड़ी की  कागजात नहीं है, और ट्राफिक पुलिस हमें पकड़ लेता है हम पर ५००/-जुर्माना लगता है. उस वक़्त हम क्या ५००/- निकाल के दे देते हैं ? हम सोचते हैं कि अगर ५० या १०० रुपया में काम चला देंगे तो नहीं होगा क्या ? और हम कोने में जा के उसको १००/- दे के निकाल जाते हैं. तो बताओ यहाँ भ्रष्टाचारी कौन है ? दोनों ही भ्रष्ट हुए न ? पहले साधारण जनता कि मानशिकता में परिवर्तन लाना पड़ेगा फिर जाके देश से भ्रष्टाचार कम हो पायेगा)................   

भ्रष्टाचारियों का ये नारा है

भ्रष्टाचारियों का ये नारा है,
देश का धन हमारा है.
देश का धन 
हमारा धन.
देश पर राज करेगा कौन,
भ्रष्टाचारियों और कौन.
भ्रष्टाचारियों का ये नारा है,
देश का धन हमारा है.
देश का धन 
हमारा धन.
देश पर राज करेगा कौन,
भ्रष्टाचारियों और कौन.

सोमवार, 20 जून 2011

चमचा गिरी कैसे किया जाता है ये सीखना है तो भारत की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी से सीखना चाहिए. 

रविवार, 19 जून 2011

True Indian congress dirty communal politics’s Weblog


True Indian congress dirty communal politics’s Weblog


Congress is a undemocratic party which is filled with Christian missionaries.
Congress have allowed Jihad to spread all over India.
Congress allowed China and Pakistan to take away Aksai Chin, POK and Azad Kashmir.
Congress bought India disgrace in 1962 because of Nehru’s leadership in India’s humiliating defeat by China.
Congress allowed Missionaries to Convert around 90% of people of North East, now every state is having a separatist movement supported by various foreign churches for Christian nations.
Congress made Afzal Guru our Ghar Jamai.
Congress’s PM could’nt sleep when a Muslims terror suspect was caught in Australia, but our MMS did not loose any sleep when numerous blasts and terror incident killed thousands of Indians.
After Iraq(a country at civil war) In India more people died in last 6 years due to terrorism in WHOLE WIDE WORLD.
Congress allowed DMK to dredge the Ram Sethu.
Congress’s Christian minister Ambika Sonia said that Shri Ram was fictional.
Congress’s allies Called Ram as druckard.
Congress’S PM said that Muslims have first right to Indian resources.
Congress made a Christian Missionary as Andhra Pradesh’s CM , Y SAMUEL REDDY. His family is running mission to convert whole INdia into Christian Nation.
Under Congress rule 160000 farmers committed suicide.
Under Congress rule inflation went to 14%.
Under Congress rule farm land was sold for pennies to big Industralists like Ambanis (Haryana SEZ and MH SEZ)
Con gress has done one thing only :-
Divide and rule, on the basis of Caste Religion Conversion Manipulation Bribery.
I will rather shoot my self in head than vote for this party which destroyed my country.
Congress is party of Italy.
Congress is a party of Sycophants.
Congress and its sporters are India’s and Hindus enemey no 1.
Sanskrit is communal and Urdu is secular;
Mandir is communal, Masjid is secular;
Sadhu is communal, Imam is secular;
BJP is communal, Muslim League is secular;
Dr. Praveen Thogadiya is anti-national, Bhukari is national;
Vande Matharam is communal, Allah-O-Akbar is secular;
Shriman is communal, Mian is secular;
Hinduism is communal, Islam is secular;
Hindutva is communal, Jihad is secular;
SIMI is secular, Bajrang Dal is communal;
and at last,
Bharat is communal, Italy is secular!

http://truecongresspolitics.wordpress.com/2009/02/28/a-to-z-achievements-of-the-congress-led-upa-government/


A to Z achievements of the congress-led UPA government


A: Afzal guru not hanged by the congress government inspite of SC order.
B: Bomb blasts happen in hundreds, in 5 years of Congress misrule.
C: Cost of living and food prices rise, making life difficult for Aam aadmi.
D: Dr manmohan singh says muslims have first right to India’s resources.
E: Economy and business suffer like never before.
F: Farmer suicides continue. Where did our money for ‘farmers loan waiver’ go?
G: Gujarat police has to provide evidence to enable SIMI ban to continue.
H: Home Minister shivraj patil kicked out only after 4.5 years of sleep and 26/11.
I: India bullied by china, but NO diplomatic response by the government.
J: Jihadis offered pension in Kashmir by the congress government.
K: karunanidhi and congress insult Lord Ram and call Ram-setu a fake.
L: LeT becomes a household name, before congress forced to re-do POTA.
M: Media makes Hindu bashing a fashion.
N: Naxalism active in 165 districts of India.
O: Orissa conversions/maoism cause Hindu saint’s death.
P: Padmashri awards not given to Olympic winners.
Q: Quattarochi is helped to escape. Jai Mata Rome (sonia gandhi).
R: Report by Sachar committee advocates more minority appeasement.
S: SP’s amar singh calls Batla house encounter a fake.
T: Torture of Sadhvi Pragnya sanctioned by congress government.
U: UK rule over India was good for India, says PM Dr manmohan singh.
V: Vande Mataram NOT SUNG by PM and sonia gandhi. National shame.
W: Wheat imported by Sharad Pawar not fit for cattle.
X: (e)Xtremism bleeds our country. Soft approach on terror hurts us.
Y: YS Rajsekher Reddy sanctions subsidy for christians to visit Jerusalem.
Z: Zero development in fields like electricity generation, highways, etc.

शनिवार, 18 जून 2011

कूटनीति

जब धृतराष्ट्र के मन में चिंता होने लगी कि यदि युद्ध हुआ तो पांडव अधिक पराक्रमी होने के कारण जीत जायेंगे.इससे राजपाट जा सकता है.अत: कुछ न कुछ प्रयत्न करना चाहिए.जो लोग कपट के माध्यम से जोड़ तोड़ से राज्य हासिल करते हैं और पाशवी सकती के माध्यम से उसे चलते हैं, उनके मन में सदा यह आशंका बनी  रहती है कि कहीं समाज विद्रोह में खड़ा न हो जाय. फिर वो प्रयास करते हैं कि किसी प्रकार से लोगों के मन को जीता जाय, उनकी हिम्मत ही समाप्त कि जाय.उनकी आकंक्ष्याओं को समाप्त किया जाय, उनकी हिम्मत ही समाप्त   की जाय.इसी भाव से धृतराष्ट्र ने संजय को पांडवों की और भेजा. संजय पांडवों की सेना में आया और धृतराष्ट्र का सन्देश  बताने लगा-" धृतराष्ट्र हमेशा ही आपके कल्याण की कामना करते हैं.आप की ही चिंता में धुलते रहते हैं. दुर्याधन के विषय में वो बड़े दुखी है. दुर्याधन उनकी एक भी बात नहीं मानता.उनका कहना है की इस युद्ध से आप को क्या मिलनेवाला है ? भाई-भाई आपस में लड़ने से क्या लाभ ? मान लो, यदि आप जीत गए तो भी भाई को मार कर ही तो जीतोगे. जीत कर क्या मिलेगा?राज्य ! राज्य तो क्ष्यणभंगुर है.ऐसे क्षणभंगुर राज्य के लिए क्या आप अपने ही लोगों को मारेंगे ? इतना बड़ा पाप कर्म करेंगे ? आप जैसे सुसंस्कृत  और सात्विक भाइयों के साथ युद्ध करना शोभा नहीं देता. अंधा भी भीख मांग कर अपने धर्म की रक्ष्या कर सकता है. युद्ध करेंगे तो दुनिया में आप की बड़ी बदनामी होगी और आप का परलोक भी बिगड़ जायेगा.लोक और परलोक सुधारना है तो आप इस युद्ध से बिरत हो जाइए.

बुधवार, 15 जून 2011

गुलामी की मानसिकता आज भी देश की कुछ नौजबानों कि मस्तिष्क को इतनी बुरी तरह जंजीरों से जकड रखा है कि इस मानसिकता को तोड़ कर निकल पाना इन के लिये मुस्किल ही नहीं असम्वब भी है. क्यूँ की इनके पुर्बजों के आँखों पर  गुलामी पट्टी इस तरह बंधी हुई है कि आज के  नौजबान उस पट्टी को आसानी से खोल  नहीं पा रहे हैं. शदियों से गुलामी करते करते इनकी कमर इतनी झुक गयी है के उसके परिणाम स्वरुप इनके वंश में किसीकी भी कमर आज तक सीधा नहीं हो पा रहा है.

मंगलवार, 14 जून 2011

मीडिया स्वामी निगमानंद जी के बारे में अपनी भूमिका स्पस्ट करें .

एक  तरफ  मीडिया  बाले  स्वामी  रामदेव  जी  की  चारों तरफ  मधु  मक्षी  की  तरह  भिनभिनाते  हुए फिर   रहे  थे , कभी  मीडिया  एक   दिन के लिए  भी  स्वामी  निगमानंद  जी  की  बातें  लोगों  के  सामने  क्यूँ  नहीं  रखा ? मीडिया   खुद  की  तरफ  ध्यान  दे  कि वो क्या  कर  रहा  था  इन  ६२  दिनों तक  ?  इन  ६२  दिनों  में  ६  बार  भी  तो  उनके  बारे  में  कहा  होता ,लेकिन  नहीं  मीडिया  को  पता  है  किस्मे  ज्यादा  दम  है , किस्मे  ज्यादा  मसाला  है ,मीडिया  खुद  कि  हकीकत  को  छुपाने  के  लिए  दूसरों  पर  दोष  मढ़ देना  अछि  तरह  जानता  है .मीडिया  स्वामी  निगमानंद  जी  के  बारे  में  अपनी  भूमिका  स्पस्ट  करें .क्या  ये  मीडिया  को  पता  नहीं  था  ? अगर  पता  नहीं  था  तो  पता  करना  चाहिए  था  अब  क्यूँ  चिल्ला  रहा  है  ? अगर  पता  था  तो  स्वामी  निगमानंद  जी  क़ी  बातें  लोगों  के  सामने  क्यूँ  नहीं  रखा  ? अगर  रखा  भी  तो  कितनी  बार  रखा  ? जब  कि  स्वामी  रामदेव  जी  कि  बारे  में  उसदिन  से लेकर  आजतक  गला  फाड़  कर  मीडिया  बाले  चिल्ला  रहे  हैं . धन्य  मीडिया  बाले  ! चीत  भी  तुम्हारा  पट  भी  तुम्हारा  खो जाये   तो हमारा.

मीडिया स्वामी निगमानंद जी के बारे में अपनी भूमिका स्पस्ट करें .

एक  तरफ  मीडिया  बाले  स्वामी  रामदेव  जी  की  चारों तरफ  मधु  मक्षी  की  तरह  भिनभिनाते  हुए फिर   रहे  थे , कभी  मीडिया  एक   दिन के लिए  भी  स्वामी  निगमानंद  जी  की  बातें  लोगों  के  सामने  क्यूँ  नहीं  रखा ? मीडिया   खुद  की  तरफ  ध्यान  दे  कि वो क्या  कर  रहा  था  इन  ६२  दिनों तक  ?  इन  ६२  दिनों  में  ६  बार  भी  तो  उनके  बारे  में  कहा  होता ,लेकिन  नहीं  मीडिया  को  पता  है  किस्मे  ज्यादा  दम  है , किस्मे  ज्यादा  मसाला  है ,मीडिया  खुद  कि  हकीकत  को  छुपाने  के  लिए  दूसरों  पर  दोष  मढ़ देना  अछि  तरह  जानता  है .मीडिया  स्वामी  निगमानंद  जी  के  बारे  में  अपनी  भूमिका  स्पस्ट  करें .क्या  ये  मीडिया  को  पता  नहीं  था  ? अगर  पता  नहीं  था  तो  पता  करना  चाहिए  था  अब  क्यूँ  चिल्ला  रहा  है  ? अगर  पता  था  तो  स्वामी  निगमानंद  जी  क़ी  बातें  लोगों  के  सामने  क्यूँ  नहीं  रखा  ? अगर  रखा  भी  तो  कितनी  बार  रखा  ? जब  कि  स्वामी  रामदेव  जी  कि  बारे  में  उसदिन  से लेकर  आजतक  गला  फाड़  कर  मीडिया  बाले  चिल्ला  रहे  हैं . धन्य  मीडिया  बाले  ! चीत  भी  तुम्हारा  पट  भी  तुम्हारा  खो  तो हमारा.

रविवार, 12 जून 2011

गरिबी में जीने का मजा ...












गरीबी में पला हूँ गरीबी में बढ़ा हूँ 
धनवानों की आँखों में मैं मजाक हूँ 
फीर भी जी  लेता हूँ.
सुना था मानब जीबन है अनमोल 
इसका कोई मोल नहीं, 
गरीब बन कर जीने का कोई मतलब नहीं.
है भगवन ऐसे ही मुझे रहने दे
जो मिल जाये रुखी सुखी
उसे तेरे प्रसाद समझने की आदत दे.
इतना शक्ति मुझे दे भगबन,
तेरा नाम सुमिरन करते रहूँगा,
दुःख का आंधी बादल जो भी आये
तेरे नाम लेकर पार हो जाऊंगा.
महलों की चाहत नहीं झोपडी में रहलूँगा
तेरे प्रसाद में से जो भी मिल जाये
उसे खाकर रह जाऊंगा.




शनिवार, 11 जून 2011

देश तरक्की कर रहा है,बेचारा गरीब ठग जाता है.














देश तरक्की कर रहा है. बिकशित  देशों की गिनती में पहुँच गया है, देश की तरक्की के लिये सरकार सदा सचेतन है,सरकार गरीबों के लिये काम कर रहे हैं. देश से गरीबी हट रहा है,ये सब हम नहीं कहते. ये सब तो सरकार कह रही है जिसका नारा है सरकार का हाथ गरीबों के साथ.फिर भी देश की जनता भूख मरी से जूझ रहे हैं, भूख मरी से मर  रहा है.कभी किसी गाँव में जाके देखिये क्या बच्चे  क्या जवान क्या बृद्ध भूख से हा हा कार कर रहे हैं,भूख से मर रहे हैं,उनका शरीर  कालेजों के बिज्ञानागार में दिखाने के लिये रखने लायक बन गया है. फिर भी सरकार कह रहे हैं की मेरा देश महान है.सरकार में बैठे हुये लोग गरीबों के लिये कभी दिल से कुछ भी किये हैं ? पूछिए उसी जनता से जो आप की झूठे आश्वासन से चिकनी बातों में आकर आप के हाथों में देश की बागडोर सम्हाल ने के लिये अधिकार दिया है. सोचा था आप सिंहाशन पर बैठ कर शायद उसके लिये ऐसा कुछ करेंगे जिससे शायद उसको दिन में दो बार भर पेट खाने को मील जायेगा.घर जो दिन में सूरज रात को चन्द्रमा और तारे दीखते हैं वो रहने लायक बन  जयेगा उसके बच्चे पढने लिखने लायक बन जायेंगे. पढ़ लिख कर शायद कही किसी जगह पर नौकरी में लग जायेंगे तो उसका दुःख दूर हो जायेगा.लेकिन गरीबों का साथ बाला हाथ, निर्वाचन के समय गरीबों के पीठ पर रेंगने बाला हाथ में सिंहासन की बागडोर आते ही गरीबों मुह पर कश के ऐसा तमाचा मारता है कि बेचारा गरीब त्राही त्राही करने लगता है. कहे तो किसे कहे रोये तो किसके आगे रोये , फरियाद करे तो किसे करें.दुखड़ा बताये तो किसको बताएं, सुनने बाला कोई नहीं.बेचारा बेवकूफ गरीब इंतजार करता है और सोचता है कि ठीक है अगले निर्वाचन में इसको सबक सिखायेंगे. पांच साल का लम्बा इन्तजार ख़तम होने को आते ही फिर वो ही मारने बाला हाथ सहर सहर, गाँव गाँव और घर घर घूमता है पीठ थपथपा के फिर से चिकनी बातों से गरीबों को उलझाते हुये. बेचारा गरीब फिर से फँस जाता है.फिर से वोही कार्य का पुनराब्रिती होता  है जो पहले हुआ था. बेचारा गरीब ठग जाता है.     

शुक्रवार, 10 जून 2011

राष्ट्र और धर्म

राष्ट्र और धर्म
भारतीय राष्ट्र के स्वरुप के बिषय में, इस युग के दो महान चिंतकों के बिचार मननीय है. 
अमेरिका से वापिस आने के बाद स्वामी विवेकानंद ने भारत भ्रमण किया.इस प्रवास  के दौरान पंबन नगर में भाषण देते हुए उन्होंने कहा :- The bake bone of our nationanal life is naither politics nor military power, it is dharma and dharma only....
इसी प्रवास में उन्होंने मद्रास में कहा :- Religion(Dharma) is the key of the entire music of our national life and if any nation throws away its vitality it is doomed to die.
दुसरे व्यक्ति महान  राष्ट्रवादी, क्रन्तिकारी,दार्शनिक योगिराज अरविन्द घोष ने कारावास से मुक्त होने के पश्चात कलकत्ता के उत्तरपाड़ा में दिये अपने भाषण में कहा:- राष्ट्रीयता कोई राजनीति नहीं, न वो सैन्य शक्ति है और न यन्त्र शक्ति . यह एक आस्था है, बिस्वास है,धर्म है. मैं तो कहूँगा की सनातन धर्म ही हमारी राष्ट्रीयता है.उल्लेखनीय है कि स्वामी विवेकानंद सभी धर्मो और विश्वासों का समान रूप से आदर करते थे.उनकी उदारता कल्पनातीत थी.
भारत तो क्या बिश्व में किसी व्यक्ति में भी यह साहस  न होगा कि वह इनमे से किसी पर भी संकुचित्त्ता अथबा कट्टरता का आरोप लगा सके.
इन दो विचारकों ने, यदि धर्म को राष्ट्रीयता का पर्याय माना है तो निश्चित ही धर्म एक ऐसा व्यापक तत्व होना चाहिए जिसकी परिधि में, हर देश भक्त और राष्ट्रभक्त भारतवासी, स्वयं को पा सके. निश्चित ही उन महानुभाबों के मन में, भारत में रहने बाले व्यक्ति को, राष्ट्रीय बनने हेतु  धर्म परिबर्तन करना आबश्यक होने की कल्पना नहीं थी, और निश्चित ही यह भारत में रहने बाले मुस्लिम और क्रिस्चियन बंधुओं को राष्ट्रीयता से बंचित रखना चाहते थे.
अतः जिस धर्म को उन्होंने राष्ट्रीयता का पर्याय माना है उसका विवेचना करना आबश्यक है. यह वो धर्म है जो इस धरती से हजारों वर्ष  से जुड़ा है और जिसे हम हिन्दू धर्म, भारतीय या सनातन धर्म कहते हैं.यह न किसी व्यक्ती विशेष की देन मानी जाती है और न किसी ग्रन्थ में सीमित है.यह तो बास्ताब में मानब के श्रेष्ठ चिंतन  व्यवहार और साधना के फल स्वरुप प्राप्त समाज की एक उपलब्धि  है. यह उपलब्धि भारतीय समाज ने हजारों वर्षों के श्रेष्ठ चिंतन तथा अनुभबों से अर्जित की है और इसमें गुण- ग्राह्यता की संभावना तथा तत्परता आज भी विद्यमान है.
मनुस्मृति में धर्म की परिभाषा इस प्रकार है:-
"धारणाद्दर्म  इत्याहु धर्म धारयते प्रजाः 
यस्याद्दारणसंयुक्तः   स धर्म इति निश्चयः .
अर्थात समाज को धारण करने बाले, चिरंतन जीवन देने बाले आचार विचार ही धर्म है, जिन तत्व में चैतन्य रखने की क्ष्यमता है वे सभी धर्म के अंतर्गत है.
इस श्लोक से धर्म की व्यापकता का बोध होता है. धर्म की कोई सीमा नहीं.धर्म किसी भी कर्मकांड या औपचारिकता से बंधा हुआ नहीं है.आब धर्म की गतिशीलता के सम्बन्ध में महाभारत के इस श्लोक को देखिये:-
" धर्मोधर्मो भवति, धर्मोधर्मो उभी अपि
कारणोंदेशकालाश्य, देशकालो हि तादृशा " 
अर्थात कभी - कभी, विशिष्ट समय तथा परिस्तिथि में धर्म भी अधर्म बन जाता है, धर्म तथा अधर्म ये दोनों मान्यताएं देश तथा काल पर ही अबलाम्बित है.वोट प्राप्ति के स्वार्थ से प्रेरित होकर धर्म शब्द को " मज़हब""रिलीजन""संप्रदाय" आदि के समकक्ष्य रख कर राजनीतिज्ञों ने इसकी अबमानना और अब्मुल्यन किया है.अपने खुले चिंतन के क्षण में कभी कभी सही बात निकल जाती है.