
जयपुर। निवेश को लेकर राज्यों में प्रतिस्पर्धा के बीच प्रवासी भारतीय सम्मेलन का मंच आखिरी दिन राजस्थान और गुजरात के मुख्यमंत्रियों के लिए अखाड़ा बन गया। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निशाने पर थे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। मोदी ने सोनिया गांधी का नाम लिए बिना गहलोत पर निशाना साधा तो परेशान होकर गहलोत ने मंच छोड़ दिया। हालात बिगड़ते देख केंद्रीय मंत्री वायलार रवि को दखल देना पड़ा।
सम्मेलन में मुख्यमंत्रियों के संयुक्त सत्र के दौरान नरेंद्र मोदी उस वक्त भड़क गए जब अशोक गहलोत ने केंद्र की यूपीए सरकार और सोनिया गांधी की तारीफों के पुल बांधने शुरू किए। गहलोत ने राज्यों के खासकर राजस्थान के विकास के लिए सोनिया गांधी को श्रेय दिया। जो मोदी को नागवार गुजरा। गहलोत के भाषण के बाद मोदी ने जैसे ही मंच से गहलोत की खिंचाई शुरू की, गहलोत कार्यक्रम बीच में ही छोड़कर चलते बने कि मोदी जी जो चाहे सो बोलें। मैं जा रहा हूं। मोदी ने अपने भाषण में कहा कि गहलोत जी ने बताया है कि उन्हें दिल्ली क्या-क्या देता है। आशीर्वाद दे रहा है। मुझे कुछ नहीं मिल रहा है। मैंने अपने बलबूते गुजरात को बनाया है। गहलोत के जाने के बाद भी मोदी चुप नहीं हुए और विकास के एक-एक मुद्दे पर गहलोत के राजस्थान से अपने गुजरात की तुलना करते रहे।मोदी ये जताने की कोशिश करते रहे कि किस तरह विकास के पैमाने पर गहलोत से वे मीलों आगे हैं। राजस्थान में इन दिनों हो रही बिजली कटौती को भी निशाना बनाते हुए मोदी ने कहा कि कुछ राज्यों में बिजली आना ही सरप्राइज है। अभी गहलोत जी कह रहे थे कि उनके पास आठ हजार मेगावाट बिजली है, लेकिन इससे आधी तो गुजरात के पास सरप्लस है।सेशन के दौरान कई प्रवासी भारतीयों के मोदी के समर्थन में हूटिंग, तालियां बजाने और मोदी से राजस्थान और केंद्र के शासकों को प्रेरणा लेने की सलाह से कार्यक्रम में मौजूद यूपीए सरकार के केंद्रीय प्रवासी मामलों के मंत्री वायलार रवि बौखला गए। रवि ने मंच पर आकर एक प्रवासी भारतीय को झिड़क दिया कि वे सलाह न दें, न ही व्यक्तिगत सवाल करें, दोनों में जमकर बहस हुई। वायलार रवि ने कहा कि ये मंच व्यक्तिगत मामलों के लिए नहीं है, आप रूल-रेगुलेशन का पालन करिए। क्या समझते हैं आप।इस घटनाक्रम से गहलोत इतने व्यथित हो गए कि बाद में निवेश के मुद्दे पर प्रवासी भारतीयों से बात करने भी नहीं गए। राजस्थान के पवैलियन में चार मंत्रियों ने निवेशकों का सामना किया, जबकि गुजरात औऱ झारखंड के पवैलियन में वहां के मुख्यमंत्रियों ने खुद कमान संभाली। राजस्थान के पवैलियन में निवेशकों ने मुख्यमंत्री गहलोत को बुलाने की मांग भी की। लेकिन गहलोत नहीं आए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें