गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

यहाँ सब कुछ बिकता है खरीदनेवाला चाहिए |

हे जगन्नाथ ! हे श्रीकृष्ण !
लोकपाल बिल टला नहीं टाला गया ,
१५ मिनट की टी ब्रेक में चैरमेन की चैर बिक गया ||

उल्टा चोर कहे कोतवाल को तू क्यूँ पकड़ा मोय
मैं अपनी मनमानी करता रहूँ तू जाके सो जाय ||

नं १- कल मौनमोहन बाबा की मौन व्रत था,
नं २-मौनमोहन बाबा गांधीजी के ३ बंदरों का १ समिश्रण है. आँख है देखूंगा नहीं, कान है सुनूंगा नहीं और जुवान है कहूँगा नहीं |

यहाँ बिकता है सब कुछ  खरीदनेवाला चाहिए |
सढ़ रहा है माल गोदाम में लुटनेवाला चाहिए ||
बेचारा गांधीजी का बन्दर भी बोलता है ? कहेगा नहीं कहलाया जायेगा | मेडम जो कहेगी उसका लिखा हुआ ये बेचारा लिखा हुआ शिर्फ़ पढ़ेगा |

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