बुधवार, 15 जून 2011

गुलामी की मानसिकता आज भी देश की कुछ नौजबानों कि मस्तिष्क को इतनी बुरी तरह जंजीरों से जकड रखा है कि इस मानसिकता को तोड़ कर निकल पाना इन के लिये मुस्किल ही नहीं असम्वब भी है. क्यूँ की इनके पुर्बजों के आँखों पर  गुलामी पट्टी इस तरह बंधी हुई है कि आज के  नौजबान उस पट्टी को आसानी से खोल  नहीं पा रहे हैं. शदियों से गुलामी करते करते इनकी कमर इतनी झुक गयी है के उसके परिणाम स्वरुप इनके वंश में किसीकी भी कमर आज तक सीधा नहीं हो पा रहा है.

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