सुप्रभात ........ सादर नमस्कार
तुम आर्य हो या अनार्य, ऋषि संतान हो,ब्राह्मण हो या अत्यन्त नीच अत्यन्ज जाति के ही क्यों न हो, इस भारतभूमि के प्रत्येक निबासी के प्रति तुम्हारे पूर्वपुरुषों का दिया हुआ एक महान आदेश है। तुम सबके प्रति बस एक ही आदेश है कि चुपचाप बैठे रहने से काम न होगा। निरन्तर उन्नति के लिए चेष्टा करते रहना होगा। ऊँची से ऊँची जाती से लेकर नीची से नीची जाती के लोगों को भी ब्राह्मण होने की चेष्टा करनी होगी।
( विवेकानंद साहित्य, ५.९४ )
तुम आर्य हो या अनार्य, ऋषि संतान हो,ब्राह्मण हो या अत्यन्त नीच अत्यन्ज जाति के ही क्यों न हो, इस भारतभूमि के प्रत्येक निबासी के प्रति तुम्हारे पूर्वपुरुषों का दिया हुआ एक महान आदेश है। तुम सबके प्रति बस एक ही आदेश है कि चुपचाप बैठे रहने से काम न होगा। निरन्तर उन्नति के लिए चेष्टा करते रहना होगा। ऊँची से ऊँची जाती से लेकर नीची से नीची जाती के लोगों को भी ब्राह्मण होने की चेष्टा करनी होगी।
( विवेकानंद साहित्य, ५.९४ )
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