बिश्वेश्वरी त्वं परीपासी बिश्वं बिश्वात्मीका धाररसीति बिश्वम् ।। बिश्वेशबन्द्या भबती भवन्ति बिश्राश्रयाये त्वयि भक्ति नम: ।।
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