रविवार, 8 अप्रैल 2012

माँ भारती पुकारती..............





आज माँ भारती पुकारती 
आओ बलिदानी आओ 
तन को तिल तिल जलाकर 
देश को उजाला करने आओ ।
ये तन है क्षण भंगुर 
इससे प्रीत न लगाओ 
मात्रुभूमि के बलि वेदी पर 
खुद को अर्पण करने आओ ।
माँ आज रो रही है 
माँ भारती पुकार रही है 
उसकी अंग की घाव अव नासूर बन गयी है 
कोई तो उसकी दर्द सुनने आओ ।
सोने की चिडिया था ये देश कभी
क्या बन गया है अभी 
फिर से जग में मातृभूमि को 
सोने की मुकुट पहनाने आओ ।
सोने का अव समय नहीं 
सोचने की अवकाश नहीं 
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी 
रटने से कुछ होनेवाला नहीं ।
जन्मभूमि के लिए मर मिटने का आज समय आया है 
सर पर कफ़न बाँध कर शत्रुओं को पराभूत करने का आज समय आया है 
सुनलो उन सहिदों की नारा वन्देमातरम की आज कहने की समय आया है ।
आओ वीरों आओ, आओ जवानों आओ । 
   
   



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें