शनिवार, 24 दिसंबर 2011

उनका ह्रदय शुद्ध कैसे होगा जो ईशा मसीह के नाम पर लोगों को ठगते हैं?

                        उनका ह्रदय शुद्ध कैसे होगा जो ईशा मसीह के नाम पर लोगों को ठगते हैं ?

  बाइबल में लिखा है कि वे धन्य है जिनका हृदय पवित्र है,शुद्ध है क्यूंकि वे परमपिता परमात्मा का दर्शन करेंगे,परन्तु जिनका हृदय पहले से ही अगर कलुषित हो तो वह क्या दर्शन कर सकेंगे ? जिनके ह्रदय में अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरषों के प्रति भिन्नता का भाव है,जो केवल यह देखते हैं कि आप के गले में भगवान राम की फोटो है, भगवान् कृष्ण की फोटो है, महात्मा बुद्ध की फोटो है और जो कहते हैं कि इनको निकाल दो - उनका ह्रदय कैसे पवित्र होगा ?जो महपुरुषों कि सन्देश की एकता को न समझकर उनके प्रति भेद भाव रखते हों,उनका ह्रदय कैसे शुद्ध होगा ? यहाँ तो पहले से ही तुम्हारे ह्रदय में चल भरा है, लोहे की मूर्ति बनाओ,लकड़ी की मूर्ति बनाओ,बस को झूठमूट में रोक दो,केले के अन्दर मलेरिया की दवा रखकर खिलाओ तो फिर तुम्हें परमात्मा का दर्शन कैसे मिलेगा ? अब बेचारे उन गरीव अनपढ़ बनवासी लोगों के दिमाग में यही आएगा कि राम और कृष्ण तो कुछ भी नहीं है | उन बेचारे अनपढ़ बनवासिओं को क्या पता कि भगवान्  राम और कृष्ण ने क्या कहा था, कैसा आदर्शमय,तपस्या और त्याग का उनका जीवन था | इशामसीह स्वयं कहते हैं कि जो तुम शारीर से पैदा हुए हो तो तुम शारीर के रहोगे और जो तुम आत्मा से पैदा होओगे तो तुम आत्मा के हो जाओगे | बास्तव में आज आत्म-तत्व को न जानने के कारण हम महापुरुषों में भिन्नता का भाव रखते हैं | और छल कपट से भोले भाले लोगों को ठगकर अपनी श्रेष्ठता प्रतिपादित करने में जुटे हैं ||    

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