मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

भगवद्गीता

रुस में भले ही कुछ कट्टरपंथी लोग भागवत-गीता पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हों लेकिन वहां कुरुक्षेत्र के धर्मक्षेत्र में उद्घोषित किया गया यह धर्मग्रंथ बहुत लोकप्रिय है तथा रुसी भाषा में इसके अनेक संस्करण उपलब्ध हैं1

सोवियत संघ के विघटन तथा कम्युनिस्ट शासन के अंत के बाद रुस में धर्म के प्रति रुझान बढ रहा है तथा भारतीय धर्मग्रंथों की लोकप्रियता लगातार बढ रही है1

रुसी भाषा में भगवद्गीता का पहला प्रमुख अनुवाद वर्ष 1916 में अन्ना कामेन्सकाया नामक एक धर्मनिष्ठ रुसी महिला ने किया था1 अन्ना भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर थियोसाफिकल सोसाइटी से जुड गयी थीं तथा उन्होंने अडयार .चेन्नई. आकर संस्कृत भाषा का अध्ययन किया था1 अडयार में अपने एक वर्ष के प्रवास के दौरान उन्होंने भगवद्गीता का अनुवाद किया1 आसान भाषा में किये गये इस अनुवाद को रुस में आज भी बहुत प्रामाणिक माना जाता है1

जवाहर लाल नेहरु पुरस्कार से सम्मानित वी एल सिमरनोव ने वर्ष 1978 में भगवद्गीता का अनुवाद किया तथा महाभारत को विषयवस्तु बनाकर अनेक लेख लिखे थे1 एक अन्य रुसी विद्वान एस. सिमेन्तसोव द्वारा रुसी भाषा में अनूदित भगवद्गीता का प्रकाशन वर्ष 1985 में हुआ था1 सिमेन्तसोव ने वाराणसी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आकर भारतीय धर्मदर्शन का अध्ययन किया था तथा डाक्टरेट की उपाधि अर्जित की थी1 उन्होंने भगवद्गीता का काव्यात्मक अनुवाद किया था1

भगवद्गीता पर रुसी भाषा में नवीनतम पुस्तक के लेखक ब्लादिमीर एंटानोव का कहना है कि इस धर्मग्रंथ में नीतिशास्त्र. ब्रह्मजिग्यासा और मानव विकास का विग्यान निहित है1

एंटानोव कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण के उपदेश के बारे में कहते है कि युद्ध टालने की जब सारी कोशिशें असफल हो गयीं तब कृष्ण ने अर्जुन को योद्धा के धर्म का निर्वाह करने का निर्देश दिया1 कृष्ण का संदेश था कि योद्धा का धर्म है कि वह सही उद्देश्य के लिए युद्ध करे1

रुस में विवाद का केन्द्र बने हरे राम हरे कृष्ण सम्प्रदाय के संस्थापक प्रभुपाद के गीता भाष्य का रुसी संस्करण वर्ष 1984 में प्रकाशित हुआ था1 हाल के वर्षो में इस सम्प्रदाय के लोगों ने रुस के अनेक नगरों में अपनी शाखाएं खोली है1

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