अन्ना हजारे के एक दिन के सांकेतिक अनशन के दौरान आयोजित जनसंसद के
अंतर्गत भारतीय जनता पार्टी के नेता अरुण जेटली ने स्टैंडिग कमेटी पर देश
से किया वादा तोड़ने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि पिछली बार जब अन्ना जी ने आंदोलन किया था तो उनका
आंदोलन खत्म करने के लिए संसद ने एक वक्तव्य जारी किया था, जिसे वित्त
मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पढ़ा था। लेकिन स्टैंडिग कमेटी ने जो रिपोर्ट संसद
में पेश की है वह उस वक्तव्य के विपरीत है, जो देश से किया वादा तोड़ने
जैसा है।
उन्होंने ब्यौरेवार विभिन्न मुद्दों पर अपनी पार्टी का रुख साफ किया।
1. प्रधानमंत्री लोकपाल के अंतर्गत हों या नहीं हों?
अरुण जेटली ने कहा कि शासन और सरकार में जितने भी व्यक्ति हैं उन सभी को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इससे बाहर रखे जाने का सवाल ही नहीं है। भारतीय जनता पार्टी इसका विरोध करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख अधिकारी होता है इसलिए उसकी जांच होनी ही चाहिए। भ्रष्ट प्रधानमंत्री एक दिन के लिए भी पद पर बना नहीं रहना चाहिए।
2. छोटे कर्मचारियों व सिटीजन चार्टर के मुद्दे पर।
अरुण जेटली ने कहा कि संसद में दिए वक्तव्य के तहत छोटे कर्मचारी और सिटीजन चार्टर लोकपाल कानून के तहत ही बनाना था। वित्त मंत्री ने खुद वह वक्तव्य पढ़ा था। लेकिन स्टैंडिंग कमेटी ने जो कानून दिया वह संसद की भावना के खिलाफ है। यह देश से किया वादा तोड़ने जैसी बात।
3. लोकपाल की नियुक्ति के मसले पर
जेटली ने कहा कि नियुक्तियों की प्रक्रिया के अंदर सिर्फ सरकारी पक्ष का वजन हम स्वीकार नहीं कर सकते। लोकपाल को बनाने के लिए जो कमेटी बने उसके लिए भी हमने एक निष्पक्ष व्यवस्था का प्रारूप दिया है, जिसमें सरकार, विपक्ष, न्यायपालिका और नागरिक समाज के लोग सम्मिलित हों।
4. सीबीआई के मसले पर
जेटली ने कहा कि सीबीआई एक प्रमुख जांच संस्था है। समय-समय पर इसका दुरुपयोग भी हुआ। इसलिए सीबीआई को सरकार के हाथ से बाहर निकालकर एक स्वायत्त संस्था बनाया जाए। उसके डायरेक्टर की नियुक्ति सरकार न करे। सीबीआई जो जांच करे उसे वह लोकपाल को बताए।
5. न्यायपालिका के मसले पर
न्यायपालिका का भ्रष्टाचार एक प्रमुख विषय है। राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बने जो एक तरह से न्यायिक लोकपाल की तरह काम करेगा।
उन्होंने ब्यौरेवार विभिन्न मुद्दों पर अपनी पार्टी का रुख साफ किया।
1. प्रधानमंत्री लोकपाल के अंतर्गत हों या नहीं हों?
अरुण जेटली ने कहा कि शासन और सरकार में जितने भी व्यक्ति हैं उन सभी को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इससे बाहर रखे जाने का सवाल ही नहीं है। भारतीय जनता पार्टी इसका विरोध करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख अधिकारी होता है इसलिए उसकी जांच होनी ही चाहिए। भ्रष्ट प्रधानमंत्री एक दिन के लिए भी पद पर बना नहीं रहना चाहिए।
2. छोटे कर्मचारियों व सिटीजन चार्टर के मुद्दे पर।
अरुण जेटली ने कहा कि संसद में दिए वक्तव्य के तहत छोटे कर्मचारी और सिटीजन चार्टर लोकपाल कानून के तहत ही बनाना था। वित्त मंत्री ने खुद वह वक्तव्य पढ़ा था। लेकिन स्टैंडिंग कमेटी ने जो कानून दिया वह संसद की भावना के खिलाफ है। यह देश से किया वादा तोड़ने जैसी बात।
3. लोकपाल की नियुक्ति के मसले पर
जेटली ने कहा कि नियुक्तियों की प्रक्रिया के अंदर सिर्फ सरकारी पक्ष का वजन हम स्वीकार नहीं कर सकते। लोकपाल को बनाने के लिए जो कमेटी बने उसके लिए भी हमने एक निष्पक्ष व्यवस्था का प्रारूप दिया है, जिसमें सरकार, विपक्ष, न्यायपालिका और नागरिक समाज के लोग सम्मिलित हों।
4. सीबीआई के मसले पर
जेटली ने कहा कि सीबीआई एक प्रमुख जांच संस्था है। समय-समय पर इसका दुरुपयोग भी हुआ। इसलिए सीबीआई को सरकार के हाथ से बाहर निकालकर एक स्वायत्त संस्था बनाया जाए। उसके डायरेक्टर की नियुक्ति सरकार न करे। सीबीआई जो जांच करे उसे वह लोकपाल को बताए।
5. न्यायपालिका के मसले पर
न्यायपालिका का भ्रष्टाचार एक प्रमुख विषय है। राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बने जो एक तरह से न्यायिक लोकपाल की तरह काम करेगा।
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