
नई दिल्ली [राजकिशोर]। एक तरफ जहां कांग्रेस टीम अन्ना पर प्रहार कर
रही है, वहीं केंद्र सरकार ने गुपचुप तरीके से अन्ना हजारे के रौद्र रूप को
शांत करने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। अन्ना आंदोलन से पूरे देश में
सरकार के खिलाफ बने माहौल को पलटने के लिए कांग्रेस के मध्यस्थों ने अब
उनके साथ संवाद के नए गलियारे भी खोल दिए हैं।
नई टीम अन्ना यानी अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण को किनारे कर सरकार के मध्यस्थों ने अन्ना की पुरानी टीम के साथ संवाद तेज कर दिया है। अब यह सरकारी कोशिशों का नतीजा है या फिर सेहत से जुड़ा मसला कि अन्ना ने 15 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश की यात्रा पर फिलहाल मौन साध लिया है।
नई दिल्ली में शुक्रवार को सिविल सोसाइटी की कोर कमेटी में भी अन्ना के न आने के दूरगामी निहितार्थ देखे जा रहे हैं। साथ ही अब अन्ना की नई टीम की जगह उनकी पुरानी टीम ही ज्यादा सक्रिय नजर आने लगी है।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक अन्ना के सामने राष्ट्रपति का प्रस्ताव भी रखा गया है। अन्ना ने इसे सार्वजनिक रूप से ठुकरा दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह अध्याय पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है। उनके पुराने करीबी लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व से तीन सवाल जानने चाहे हैं। पहला कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कांग्रेस के पास कितने वोट होंगे। उनके जीतने की कितनी संभावना होगी और साथ ही दूसरी पार्टियों के संभावित उम्मीदवार कौन हो सकते हैं।
हालांकि, अन्ना बगैर मजबूत लोकपाल के किसी भी कीमत पर मानने को तैयार नहीं हैं। इस बारे में सरकार की तरफ से तैयारी है कि अगले कुछ महीनों के भीतर सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाएगी। इस पर अन्ना संतोष जताएंगे। अगर यह बातचीत तय हो जाती है तो अन्ना हजारे को फिलहाल अपने तेवर नरम रखने होंगे। कांग्रेस उनकी मजबूरी को समझते हुए उन्हें यह तो नहीं कहेगी कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ न बोलें, लेकिन चुनावों के दौरान पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोई भी कोशिश उन्हें तुरंत बंद करनी होगी।
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे मामले में महाराष्ट्र के लॉबिस्ट अभिनंदन थोराट महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। चिंतनग्रुप नाम से इमेज मेकिंग एजेंसी चलाने वाले थोराट विलासराव देशमुख के जनसंपर्क का काम देखते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय राजनीति में महाराष्ट्र के ही कई दूसरे बडे़ कद्दावर नेताओं से भी थोराट के बहुत करीबी संबंध हैं। हालत यह है कि इस दौरान वे कम से कम तीन बार अन्ना के साथ दो-ढाई घंटे तक बंद कमरे में बैठक कर चुके हैं। थोराट ने पहले भी महाराष्ट्र में चले अन्ना के आंदोलन खत्म करवाने में भूमिका निभाई।
अन्ना की नई टीम पर थोराट ने जहां प्रहार किया है, वहीं रालेगण सिद्धि में अन्ना के सबसे करीबी लोगों से इनके संबंध बहुत मधुर हैं। इनमें अन्ना के निजी सहायक सुरेश पठारे और दादा पठारे व अनिल शर्मा भी शामिल हैं। सुरेश पठारे और दादा पठारे पिछले दिनों थोराट के आमंत्रण पर गोवा और मुंबई के पर्यटन पर भी गए। साथ ही आइफोन और टैबलेट कंप्यूटर जैसे उपहार भी इन्हें मिले हैं। इस बाबत सुरेश पठारे ने कहा कि कार्यालय के लिए चिंतन ग्रुप ने आइफोन जरूर दिया है। पठारे ने एनसीपी के एक मंत्री रामराज लिंबा के साथ थोराट की मुलाकात की पुष्टि भी की। अन्ना के उत्तर प्रदेश दौरे पर उन्होंने कहा कि अभी कुछ तय नहीं हो सका है। अन्ना की नई टीम से मतभेद की बात को जहां पठारे ने खारिज किया, वहीं अरविंद केजरीवाल ने इस बारे में कुछ भी बोलने से मना कर दिया।
क्या कर सकते हैं अन्ना
-15 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश की यात्रा न करें, जिसका एलान तीन अक्टूबर को किया था
-इसी तरह देशभर की यात्रा के अपने कार्यक्रम को भी रद करें, जिसका एलान रामलीला मैदान से किया था
-आने वाले चुनाव में किसी भी जगह कांग्रेस के उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार न करें
-कांग्रेस विरोधी छवि वाले अपने साथियों प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी से दूरी रखें
नई टीम अन्ना यानी अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण को किनारे कर सरकार के मध्यस्थों ने अन्ना की पुरानी टीम के साथ संवाद तेज कर दिया है। अब यह सरकारी कोशिशों का नतीजा है या फिर सेहत से जुड़ा मसला कि अन्ना ने 15 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश की यात्रा पर फिलहाल मौन साध लिया है।
नई दिल्ली में शुक्रवार को सिविल सोसाइटी की कोर कमेटी में भी अन्ना के न आने के दूरगामी निहितार्थ देखे जा रहे हैं। साथ ही अब अन्ना की नई टीम की जगह उनकी पुरानी टीम ही ज्यादा सक्रिय नजर आने लगी है।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक अन्ना के सामने राष्ट्रपति का प्रस्ताव भी रखा गया है। अन्ना ने इसे सार्वजनिक रूप से ठुकरा दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह अध्याय पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है। उनके पुराने करीबी लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व से तीन सवाल जानने चाहे हैं। पहला कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कांग्रेस के पास कितने वोट होंगे। उनके जीतने की कितनी संभावना होगी और साथ ही दूसरी पार्टियों के संभावित उम्मीदवार कौन हो सकते हैं।
हालांकि, अन्ना बगैर मजबूत लोकपाल के किसी भी कीमत पर मानने को तैयार नहीं हैं। इस बारे में सरकार की तरफ से तैयारी है कि अगले कुछ महीनों के भीतर सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाएगी। इस पर अन्ना संतोष जताएंगे। अगर यह बातचीत तय हो जाती है तो अन्ना हजारे को फिलहाल अपने तेवर नरम रखने होंगे। कांग्रेस उनकी मजबूरी को समझते हुए उन्हें यह तो नहीं कहेगी कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ न बोलें, लेकिन चुनावों के दौरान पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोई भी कोशिश उन्हें तुरंत बंद करनी होगी।
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे मामले में महाराष्ट्र के लॉबिस्ट अभिनंदन थोराट महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। चिंतनग्रुप नाम से इमेज मेकिंग एजेंसी चलाने वाले थोराट विलासराव देशमुख के जनसंपर्क का काम देखते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय राजनीति में महाराष्ट्र के ही कई दूसरे बडे़ कद्दावर नेताओं से भी थोराट के बहुत करीबी संबंध हैं। हालत यह है कि इस दौरान वे कम से कम तीन बार अन्ना के साथ दो-ढाई घंटे तक बंद कमरे में बैठक कर चुके हैं। थोराट ने पहले भी महाराष्ट्र में चले अन्ना के आंदोलन खत्म करवाने में भूमिका निभाई।
अन्ना की नई टीम पर थोराट ने जहां प्रहार किया है, वहीं रालेगण सिद्धि में अन्ना के सबसे करीबी लोगों से इनके संबंध बहुत मधुर हैं। इनमें अन्ना के निजी सहायक सुरेश पठारे और दादा पठारे व अनिल शर्मा भी शामिल हैं। सुरेश पठारे और दादा पठारे पिछले दिनों थोराट के आमंत्रण पर गोवा और मुंबई के पर्यटन पर भी गए। साथ ही आइफोन और टैबलेट कंप्यूटर जैसे उपहार भी इन्हें मिले हैं। इस बाबत सुरेश पठारे ने कहा कि कार्यालय के लिए चिंतन ग्रुप ने आइफोन जरूर दिया है। पठारे ने एनसीपी के एक मंत्री रामराज लिंबा के साथ थोराट की मुलाकात की पुष्टि भी की। अन्ना के उत्तर प्रदेश दौरे पर उन्होंने कहा कि अभी कुछ तय नहीं हो सका है। अन्ना की नई टीम से मतभेद की बात को जहां पठारे ने खारिज किया, वहीं अरविंद केजरीवाल ने इस बारे में कुछ भी बोलने से मना कर दिया।
क्या कर सकते हैं अन्ना
-15 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश की यात्रा न करें, जिसका एलान तीन अक्टूबर को किया था
-इसी तरह देशभर की यात्रा के अपने कार्यक्रम को भी रद करें, जिसका एलान रामलीला मैदान से किया था
-आने वाले चुनाव में किसी भी जगह कांग्रेस के उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार न करें
-कांग्रेस विरोधी छवि वाले अपने साथियों प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी से दूरी रखें
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