शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2011

महिषासुर की शहादत और मैकाले का जन्मदिन मनाएंगा जेएनयू

महिषासुर की शहादत और मैकाले का जन्मदिन मनाएंगा जेएनयू

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महिषासुर की शहादत और मैकाले का जन्मदिन मनाएंगा जेएनयू
देश का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू अपनी गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपरा में एक और अध्याय जोड़ने जा रहा है. अब वह महिषासुर का शहादत दिवस और मैकाले का जन्मदिन भी मनाएगा. यह महिषासुर कोई और नहीं बल्कि वही प्रतीक रूप राक्षस है जिसका देवी दुर्गा ने चंडी रूप में वध किया था. दिल्ली से प्रकाशित होनेवाली एक दलित पत्रिका में चंडी को रंडी बताकर महिषासुर को शहीद का दर्जा दिये जाने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कई छात्र संगठनों ने तय किया है कि वे विश्वविद्यालय परिसर में महिषासुर का शहादत दिवस मनाएंगे. और मैकाले के जन्मदिन 25 अक्टूबर को मैकाले को याद करेंगे.
दशहरा समाप्त होने के बाद इन छात्र संगठनों ने जेएनयू प्रशासनिक परिसर के बाहर एक प्रदर्शन भी किया और तथाकथित हिन्दूवादी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को घेरते हुए कहा कि वह जेएनयू में मनुवाद लाने की कोशिश कर रही है. प्रदर्शन में शामिल छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों ने कुलपति से मुलाकात कर पिछले दिनो एआइबीएसएफ के अध्‍यक्ष जितेंद्र कुमार, उपाध्‍यक्ष विनय कुमार व कार्यकारिणी सदस्‍य मुन्‍नी कुमारी पर हमले करने वाले एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को यूनिवर्सिटी से बाहर करने की मांग भी की.
गौरतलब है कि जेएनयू में दुर्गापूजा के बाद से ही लगातार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तथा ऑल इंडिया बैकवर्ड स्‍टूडेंट फोरम के बीच तनाव बना हुआ है। दुर्गापूजा के दिन एआाईबीएसएफ ने जेएनयू परिसर में 'फारवर्ड प्रेस' में छपा लेख 'दुर्गा: किसकी पूजा कर रहे हैं बहुजन' का पोस्‍टर बनाकर लगाया था। बिहार के लेखक व राजनेता प्रेमकुमार मणि ने अपने इस लेख में महिषासुर को भारत का मूलनिवासी (ओबीसी) बताया है तथा कहा है कि बंग देश में दुर्गा को वेश्‍याएं अपने कुल का बताती हैं। इससे नाराज एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ इस लेख के आधार पर बनाया गया और एआईबीएसफ के पोस्‍टर फाड डाला बल्कि उनके कार्यकर्ताओं पर हमला भी किया। 
एबीवीपी का आरोप है कि एआईबीएसएफ ने हिंदू देवी दुर्गा का अपमान किया है जबकि एआईवीएसएफ का कहना है जिस पत्रिका में यह लेख छपा है, उससे देश और विदेश के कई बडे एकेडमिशियन कांचा अइलैया, टॉम वुल्‍फ, गेल ऑमवेट आदि जुडे हैं। हमने यह लेख उक्‍त पत्रिका से ले लिया है तथा हम इस लेख के तथ्‍यों से सहमत हैं। उन्‍होंने कहा कि हम दुर्गा को दलित पिछडों का संहार करने वाली देवी मानते हैं तथा महिषासुर को वंचित तबकों का नायक। वाम छात्र संगठन इस पूरे मामले में एआइबीएसएफ के साथ हैं। उन्‍होंने इस अवसर पर, फारवर्ड प्रेस में प्रकाशित एक लेख के आधार पर 25 अक्‍टूबर को लार्ड मैकाले की जयंती मनाने की भी घोषणा की है।  
उधर, फारवर्ड प्रेस के संपादक (हिंदी) प्रमोद रंजन ने कहा कि हमारी पत्रिका इस विवाद में शामिल नहीं है। हमने यह लेख तथ्‍यों के आधार पर प्रकाशित किया है। इस का छात्र कैसे उपयोग कर रहे हैं, यह उनकी अपनी विचारधारा पर निर्भर करता है।

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