नई दिल्ली. गांधीवादी अन्ना हजारे के अनशन से भ्रष्टाचार कितना कम होगा, यह अभी कहना मुश्किल है लेकिन इस आंदोलन ने राजनीतिक अखाड़े में विपक्षियों के लिए राह आसान बना दी है। अन्ना के अनशन से विपक्षी दलों खासकर भारतीय जनता पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव लड़ने लिहाज से मजबूत आधार तैयार कर दिया है। निजी समाचार चैनल स्टार न्यूज और नीलसन द्वारा देश के 28 शहरों में किए गए सर्वे के मुताबिक यदि मौजूदा हालात में चुनाव हो जाएं तो भाजपा को 32 प्रतिशत वोट मिलेंगे जबकि कांग्रेस को सिर्फ 20 फीसदी लोग ही वोट देंगे। सर्वे के मुताबिक राहुल गांधी भी लोगों की भावनाओं को समझने में नाकाम रहे हैं। सर्वे में शामिल 54 प्रतिशत लोगों ने माना कि राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने का यह सही समय नहीं है। यदि अन्ना और राहुल मौजूदा हालात में चुनाव में मुकाबला करे तो 74 प्रतिशत लोग गांधीवादी अन्ना हजारे को अपना वोट देंगे जबकि सिर्फ 17 प्रतिशत ही राहुल गांधी को वोट देंगे। कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी यह भी है कि सर्वे में शामिल युवाओं ने भी अन्ना हजारे को तरजीह दी है। गौरतलब है कि राहुल गांधी कांग्रेस नेतृत्व के युवा चेहरे माने जाते हैं और कई जानकार यह मानते रहे हैं कि युवाओं में राहुल लोकप्रिय हैं।
आंदोलन के दौरान यूपीए के कई वरिष्ठ मंत्री यह कहते रहे कि कुछ हजार लोग जो अन्ना का समर्थन करते हैं वे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते और यदि टीम अन्ना बदलाव चाहती है तो चुनाव लड़े। यदि अब कपिल सिब्बल जैसे मंत्री टीम अन्ना के सदस्यों के सामने चुनाव लड़ते हैं तो नतीजे उन्हें हैरान कर देंगे। सर्वे के मुताबिक यदि कपिल सिब्बल किरण बेदी के मुकाबले में चुनाव लड़ते हैं तो 74 फीसदी वोटर किरण बेदी को वोट देंगे जबकि सिब्बल को सिर्फ 14 फीसदी वोट मिलेंगे। यदि गृह मंत्री पी. चिदंबरम और अरविंद केजरीवाल के बीच मुकाबला होता है तो भी गृहमंत्री हार जाएंगे। 58 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल के लिए वोट करेंगे।
सर्वे से यह भी सामने आया कि गांधीवादी अन्ना हजारे के अनशन ने देश के युवाओं को नया रोल मॉडल दे दिया है। 62 प्रतिशत लोग मानते हैं कि अरविंद केजरीवाल युवा भारत के नए रोल मॉडल हैं। उत्तर भारत में तो 75 प्रतिशत लोग केजरीवाल को नया रोल मॉडल मानते हैं। सर्वे में शामिल अधिकतर लोगों का मानना है कि अन्ना हजारे के अनशन के दौरान पैदा हुए हालात को समझने में सरकार नाकाम रही। 16 अगस्त की सुबह अन्ना को गिरफ्तार करना गलत फैसला था। 54 फीसदी लोगों ने माना कि सरकार हालात से निबटने में नाकाम रही। हालांकि ज्यादातर लोगों ने प्रधानमंत्री को बेगुनाह बताया। 64 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यूपीए सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की वजह से हालात बिगड़ गए जबकि 54 प्रतिशत ने माना कि सोनिया गांधी भी होती तब भी वो कुछ नहीं कर पातीं।
भले ही आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे के तरीके की कुछ लोगों ने आलोचना की और इसे संविधान विरोधी बताया, लेकिन यदि सर्वे में शामिल लोगों का मानना है कि अन्ना का अड़ियल रुख बिलकुल सही था। सर्वे में शामिल 82 फीसदी लोगों ने माना कि मांगें न माने जाने तक अन्ना हजारे का आमरण अनशन विरोध का बिलकुल सही तरीका था। सिर्फ 12 फीसदी लोगों ने कहा कि अन्ना हजारे
सरकार को ब्लैकमेल कर रहे थे।
सर्वे में हिस्सा लेने वाले अधिकतर लोगों ने यह भी माना कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जन लोकपाल मील का पत्थर साबित होगा। 56 प्रतिशत लोगों का कहना है कि सरकार को तुरंत जन लोकपाल बिल पास कर देना चाहिए। 53 प्रतिशत लोगों का यही कहना है कि मजबूत जनलोकपाल बिल पांच साल के भीतर ही भारत को भ्रष्टाचार मुक्त देश बना देगा। जबकि लगभग 40 प्रतिशत लोगों का कहना लोकपाल भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा।
सर्वे की 10 अहम बातें
(1) अन्ना का आंदोलन जहां सबसे तेज़ था वहीं बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा
(2) 54% लोग मानते हैं कांग्रेस ने अन्ना के अनशन को ठीक से नही निपटा
(3) 64% लोग मानते हैं कि हालात से ठीक से न निपटने के लिए प्रधानमंत्री
नही यूपीए सरकार के वरिष्ठ मंत्री जिम्मेदार
(4) 75% लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार
(5) 54% लोग मानते हैं कि राहुल गांधी को इस वक्त प्रधानमंत्री पद से दूर
रहना चाहिए
(6) 62% लोगों का कहना है अरविंद केजरीवाल युवकों के नए नायक बन कर उभरे हैं
(7) अन्ना हजारे, किरन बेदी और अरविंद केजरीवाल – राहुल गांधी, कपिल
सिब्बल और पी चिदंबरम पर चुनावों में भारी पड़ सकते हैं
(8) 53% लोग मानते हैं कि अगर मजबूत लोकपाल बिल पास हो तो 5 साल में देश
से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा
(9) 49% लोगों का मानना है कि रिश्वत न लेने और न देने की शपथ खाने से ही
भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा
(10) 82% लोगों का मानना है कि अपनी मांग मनवाने का अन्ना का तरीका
आपकी राय
सर्वे में शामिल सवालों पर आपकी क्या राय है? क्या चुनाव होने पर अन्ना हजारे राहुल गांधी पर भारी पड़ेंगे? इन मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करें।
आंदोलन के दौरान यूपीए के कई वरिष्ठ मंत्री यह कहते रहे कि कुछ हजार लोग जो अन्ना का समर्थन करते हैं वे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते और यदि टीम अन्ना बदलाव चाहती है तो चुनाव लड़े। यदि अब कपिल सिब्बल जैसे मंत्री टीम अन्ना के सदस्यों के सामने चुनाव लड़ते हैं तो नतीजे उन्हें हैरान कर देंगे। सर्वे के मुताबिक यदि कपिल सिब्बल किरण बेदी के मुकाबले में चुनाव लड़ते हैं तो 74 फीसदी वोटर किरण बेदी को वोट देंगे जबकि सिब्बल को सिर्फ 14 फीसदी वोट मिलेंगे। यदि गृह मंत्री पी. चिदंबरम और अरविंद केजरीवाल के बीच मुकाबला होता है तो भी गृहमंत्री हार जाएंगे। 58 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल के लिए वोट करेंगे।
सर्वे से यह भी सामने आया कि गांधीवादी अन्ना हजारे के अनशन ने देश के युवाओं को नया रोल मॉडल दे दिया है। 62 प्रतिशत लोग मानते हैं कि अरविंद केजरीवाल युवा भारत के नए रोल मॉडल हैं। उत्तर भारत में तो 75 प्रतिशत लोग केजरीवाल को नया रोल मॉडल मानते हैं। सर्वे में शामिल अधिकतर लोगों का मानना है कि अन्ना हजारे के अनशन के दौरान पैदा हुए हालात को समझने में सरकार नाकाम रही। 16 अगस्त की सुबह अन्ना को गिरफ्तार करना गलत फैसला था। 54 फीसदी लोगों ने माना कि सरकार हालात से निबटने में नाकाम रही। हालांकि ज्यादातर लोगों ने प्रधानमंत्री को बेगुनाह बताया। 64 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यूपीए सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की वजह से हालात बिगड़ गए जबकि 54 प्रतिशत ने माना कि सोनिया गांधी भी होती तब भी वो कुछ नहीं कर पातीं।
भले ही आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे के तरीके की कुछ लोगों ने आलोचना की और इसे संविधान विरोधी बताया, लेकिन यदि सर्वे में शामिल लोगों का मानना है कि अन्ना का अड़ियल रुख बिलकुल सही था। सर्वे में शामिल 82 फीसदी लोगों ने माना कि मांगें न माने जाने तक अन्ना हजारे का आमरण अनशन विरोध का बिलकुल सही तरीका था। सिर्फ 12 फीसदी लोगों ने कहा कि अन्ना हजारे
सरकार को ब्लैकमेल कर रहे थे।
सर्वे में हिस्सा लेने वाले अधिकतर लोगों ने यह भी माना कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जन लोकपाल मील का पत्थर साबित होगा। 56 प्रतिशत लोगों का कहना है कि सरकार को तुरंत जन लोकपाल बिल पास कर देना चाहिए। 53 प्रतिशत लोगों का यही कहना है कि मजबूत जनलोकपाल बिल पांच साल के भीतर ही भारत को भ्रष्टाचार मुक्त देश बना देगा। जबकि लगभग 40 प्रतिशत लोगों का कहना लोकपाल भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा।
सर्वे की 10 अहम बातें
(1) अन्ना का आंदोलन जहां सबसे तेज़ था वहीं बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा
(2) 54% लोग मानते हैं कांग्रेस ने अन्ना के अनशन को ठीक से नही निपटा
(3) 64% लोग मानते हैं कि हालात से ठीक से न निपटने के लिए प्रधानमंत्री
नही यूपीए सरकार के वरिष्ठ मंत्री जिम्मेदार
(4) 75% लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार
(5) 54% लोग मानते हैं कि राहुल गांधी को इस वक्त प्रधानमंत्री पद से दूर
रहना चाहिए
(6) 62% लोगों का कहना है अरविंद केजरीवाल युवकों के नए नायक बन कर उभरे हैं
(7) अन्ना हजारे, किरन बेदी और अरविंद केजरीवाल – राहुल गांधी, कपिल
सिब्बल और पी चिदंबरम पर चुनावों में भारी पड़ सकते हैं
(8) 53% लोग मानते हैं कि अगर मजबूत लोकपाल बिल पास हो तो 5 साल में देश
से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा
(9) 49% लोगों का मानना है कि रिश्वत न लेने और न देने की शपथ खाने से ही
भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा
(10) 82% लोगों का मानना है कि अपनी मांग मनवाने का अन्ना का तरीका
आपकी राय
सर्वे में शामिल सवालों पर आपकी क्या राय है? क्या चुनाव होने पर अन्ना हजारे राहुल गांधी पर भारी पड़ेंगे? इन मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करें।
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