मंगलवार, 2 अगस्त 2011

हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति, हिन्दू समाज,हिन्दू राष्ट्र

अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बिचार है कि हिन्दुस्थान हिन्दूराष्ट्र है और अपने इस राष्ट्र को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिलाना है | इस हेतु हमें हिन्दुराष्ट्र के मेरुदंड अर्थात हिन्दू समाज को संगठित कर बलसंपन्न बनाना है | वर्तमान में हिन्दू अंशतः जागृत हुआ है, वह करवट बदल रहा है , अभी संगठित हो रहा है | संक्ष्येप में हिन्दू एक शक्ति के रूप में प्रकट हो रहा है, तो दूसरी तरफ विरोधी शक्तियां प्रतिक्रियात्मक रूख अपना कर भिन्न-भिन्न विवाद उत्पन्न करती दिखाई देती है.|
हिंदुत्व मुख्य मुद्दा हो जाने के कारण आजकल हिन्दुराष्ट्र,हिन्दू संस्कृति,हिन्दू धर्म आदी शव्दों को लेकर अनेक प्रकार कि बहस चलती है | लेकिन इन शव्दों के संबंध में बहुत संभ्रम है | लोग अपने अपने ढंग से अर्थ लगाकर बोलते हैं उस कारण संभ्रम समाप्त होने के स्थान पर और अधिक बढ़ जाता है | जैसे राष्ट्र और राज्य के बिच क्या भेद है यह न समझने के कारण ही मा.अड़वानिजी के यह कहने पर कि "हिन्दुस्थान कभी पंथिक राज्य ( Theocretic state)नहीं बन सकता " को लिखा गया कि हिन्दुस्थान धर्म नियंत्रित राज्य नहीं बन सकता | ऐसा इसीलिए हुआ क्यूंकि Theocracy का अर्थ एक पंथ लगाया और पंथ को धर्म कह दिया | पंथ क्या है ? धर्म क्या है ? राष्ट्र क्या है ? राज्य क्या है ? संस्कृति क्या है ? sabhyata क्या है ? इन सारे शव्दों का अर्थ स्पस्ट न होने के कारण, इनके बारे में संभ्रम सब जगह विद्यमान है | इसीलिए आज जो बहस चलती है एक प्रकार से निरर्थक ही है | इसके साथ ही एक और बहस जुड़ गया कोमल हिंदुत्व और उग्र हिंदुत्व की | कुछ लोग कहते हैं कि हम हिन्दुइस्म को तो तो स्वीकार करते हैं किन्तु हिंदुत्व को नहीं | अब हिंदुत्व और हिन्दुइस्म में क्या अंतर है ? लेकिन आजकल इस बहस को जोरों से चलाया जा रहा है | एक दृष्टि से यह अच्छा है कि आज तक हम जिस विचार को प्रस्तुत कर रहे थे, उस पर सार्वजनिक बहस हो रही है | हमें इसका स्वागत ही करना चाहिये | इसके साथ ही हमारा जो विचार है उसे अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्थापित करना चाहिये |किन्तु इसे प्रस्थापित करने के पूर्व हमारे मन में सभी शव्दों के अर्थ स्पस्ट हो जाना चाहिये | इसमे स्पष्टता न रही तो हम जो भी कहेंगे उससे लोगों के संभ्रम दूर होने के स्थान पर बढ़ेंगे ही |
अब हिन्दू शव्द को ही लें | लोग पूछते हैं हिन्दू शव्द कहाँ से लाया ? वेदों में अथवा उपनिषदों में तो हिन्दू शव्द
है नहीं | चूँकि हिन्दू शव्द २५०० साल पुराना है,इसीलिए इस शव्द का अस्तित्व उन ग्रंथो में नहीं है.
२५०० साल पहले इरान के सम्राट थे उनका नाम था दारायावहूँ | अंग्रेजी में उसे "डेरियस" कहते हैं | उनके समय का एक शिलालेख प्राप्त हुआ है |

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