शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

कभी तो कहा होता कि तेरे दिल मैं क्या है.................

कभी तो कहा होता कि तेरे दिल मैं क्या है................. 
बिना कहे सब ग़मों को कैसे पी गया तू,
हँसते हँसते हमसे क्यूँ  बिछड़ गया तू.
ऐसा क्या कसूर था मेरा कि  हमसे रूठ गया तू,
ये कैसा गम दे दिया मुझे जीवन भर का तू.
तेरे बिन ये घर सुना सुना सा लगता है, 
तेरे बिन मन सदा उदास सा रहता है.
सुबह से लेकर शाम तक तेरा ही ख्याल आते रहता है,
जहाँ भी देखूं चारों तरफ तू ही तू नजर आता है.
रात को किसी पहर जब नींद खुल जाता है,
सोचता हूँ कि शायद कहीं तू आँगन में तो नहीं बैठा है.
तेरा हंसता मुस्कुराता चेहरा सामने आ जाता है,
दिल भर जाता है आँखों में पानी भर आता है.
तुझे क्या पता तेरे बिन मेरा क्या हाल है,
हँसता हूँ फिर भी मन सदा रोते रहता है.
सोचता हूँ तू कहीं बाहर घुमने गया है,
अभी आकर मेरे पास बैठने ही बाला है.
तुझे भूलना चाहता हूँ फिर भी याद आ जाता है तू.
भाई मेरे फिर से मेरे पास लौट कर आ जा तू.
कभी तो कहा होता कि तेरे दिल मैं क्या है.................

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